औषधीय गुणों के कारण विश्व में अनोखी नदी है गंगा: गौतम राधाकृष्ण

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देवप्रयाग, इंटरनेशनल यूनियन ऑफ क्रिस्टलग्राफी के पूर्व अध्यक्ष व प्रसिद्ध रसायनशास्त्री गौतम राधाकृष्ण देशिराजु ने कहा कि, “कि विश्व में गंगा अनोखी नदी है। इसके औषधीय गुणों को पूरी तरह प्रकाश में लाने के लिए शोध की जरूरत है। गंगा के गुणों को बचाने के लिये जलविद्युत परियोजनाओं को नियंत्रित करना होगा।”
प्रसिद्ध रसायनशास्त्री गौतम देशिराजु बोदे तीर्थ देवप्रयाग में भ्रमण के लिए पहुंचे थे। इस अवसर पर उन्होंने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि गंगा कोई साधारण नदी नहीं है इसमें प्रदूषण नियंत्रण जरूरी है। अपने औषधीय गुणों के कारण अनोखी नदी है। इसके जल को उबालकर इसका यह गुण नष्ट हो जाता है। उन्होंने कहा कि अपर गंगा क्षेत्र में पिंडर औषधीय गुणों से भरपूर महत्वपूर्ण नदी है। इससे ऊपर धौली आदि नदियों के गुणों का शोध भी जरूरी है। कानपुर विवि व बीएचईएल की ओर से इस दिशा में किये जा रहे कार्यों के अभी परिणाम आने बाकी है।
उत्तराखंड में बन रही जल विद्युत योजनाओं पर नियंत्रण के अलावा कोई विकल्प नहीं है। तभी गंगा का प्राकृतिक प्रवाह बना रह सकता है। अगले 15 वर्षों में सौर ऊर्जा, पवन व न्यूक्लियर  ऊर्जा के बेहतर इस्तेमाल से जलविद्युत ऊर्जा पर बहुत कम निर्भरता रह जाएगी। गंगा अभी आईसीयू में है। उसे सामान्य वार्ड में लाकर स्वस्थ नदी का रूप का देना होगा।
उन्होंने कहा कि, “नमामि गंगे को सिर्फ प्रचार अभियान तक न रखकर उसके अनुरूप धरातल पर भी काम करना होगा। तभी गंगा का भला हो सकेगा। भारत में गंगा को चार भागों में बांटा गया है। जिसमे गंगोत्री से हरिद्वार, हरिद्वार से वाराणसी, वाराणसी से फरक्का और फरक्का से गंगासागर तक का क्षेत्र शामिल है।अलकनंदा और भागीरथी जो अपर क्षेत्र से हरिद्वार तक पहुचती है इसकी अलग समस्या है, जबकि उत्तरप्रदेश में गंगा दूसरी परेशानियों से गुजर रही है।”