ऋषिकेश- आबादी के बोझ से अपने ही घर में मैली होती गंगा के दिन अब जल्द ही बहुरने वाले हैं। नीदरलैंड की तकनीक के द्वारा गंगा में मिलने वाले सबसे बड़े नाले को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ऋषिकेश में शुरू किया जा रहा है। विदेशी तकनीशियन नीदरलैंड की इस तकनीक को गंगा में गिरने वाले नाले के पानी को शुद्ध करके साफ और निर्मल बनाने जा रहे हैं,जिसका पहला चरण ऋषिकेश में शुरू हो चुका है और यह तकनीक किफायती होने के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टि से भी भरोसेमंद मानी जा रही है। इस पूरे प्रोजेक्ट को भारतीय एवं नीदरलैंड की कंपनी के द्वारा ऋषिकेश मैं लगाया जा रहा है जिसका आज चंदेश्वर घाट पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री उद्घाटन करेंगे।
नीदरलैंड की तकनीक के द्वारा इंदौर की फ्लेक्सि टफ लिमिटेड कंपनी व परमार्थ निकेतन के सहयोग से गंगा में गिर रहे गंदे नालो को टैप करके गंगा को स्वच्छ करने का बीड़ा उठाया गया है,जिसका उदघाटन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा किया जाएगा।परमार्थ निकेतन आश्रम के सहयोग से कंपनी अपने खर्चे पर एक बड़ा इन्वेस्टमेंट करके गंगा में गिर रहे गंदे नालो को टैप करने का कार्य कर रही है और देश मे पहली बार नीदरलैंड की तकनीक का प्रयोग करके ऋषिकेश मे गंगा स्वच्छता के लिए किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बिना किसी सरकारी मदद के कंपनी द्वारा लगभग 3 करोड रुपए से मात्र ढाई हजार गज जमीन पर एक सप्ताह के भीतर उक्त योजना की शुरुआत चंद्रभागा के गंगा तट पर उक्त जिओ ट्यूब डी वाटरिंग प्रोजेक्ट को लगा कर किया गया है, जो 2लाख20 हजार लीटर पानी को एक घंटे में साफ कर गंगा में छोड़ा जाएगा।