गंगोत्री धाम के कपाट शुक्रवार को बंद कर दिए गए। इसके बाद कल मुखवा में मां गंगा की मूर्ति को स्थापित किया जाएगा। अगले छह महीने तक वहीं मां गंगा की पूजा होगी। वहीं, शनिवार को केदारनाथ धाम और यमुनोत्री के कपाट भी बंद कर दिए जाएंगे।
शुक्रवार सुबह गंगोत्री धाम में साढ़े आठ बजे उदय बेला पर पूजा अर्चना के बाद गंगा जी की मूर्ति से मुकुट उतारा गया। इस बीच श्रद्धालुओं ने मां गंगा की भोग मूर्ति के दर्शन किए। दोपहर करीब 11.40 बजे धनु लग्न अभीजीत मुहूर्त की शुभ बेला पर कपाट बंद किए गए।
इस दौरान तीर्थ पुरोहितों ने विशेष पूजा व गंगा लहरी का पाठ किया। डोली में सवार होकर गंगा की भोगमूर्ति जैसे ही मंदिर परिसर से बाहर निकली तो पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा।
धुन और परंपरागत ढोल दमाऊं की थाप के साथ तीर्थ पुरोहित गंगा की डोली को लेकर शीतकालीलन प्रवास मुखवा गांव के लिए पैदल रवाना हुए। रात्रि विश्राम मुखवा के निकट दुर्गा मंदिर में होगा। भैया दूज के दिन 21 अक्टूबर को मुखवा स्थित गंगा मंदिर में गंगा की मूर्ति को स्थापित किया जाएगा। शीतकाल में यहीं पर मां गंगा की पूजा अर्चना होगी।
वहीं यमुनोत्री धाम के कपाट भी भैया दूज के दिन 21 अक्टूबर को दोपहर एक बजकर 25 मिनट पर बंद होंगे। यमुना जी की उत्सव मूर्ति शीतकालीन पड़ाव खरसाली गांव के लिए रवाना होगी। करीब पांच किलोमीटर का सफर तय करने के बाद इसे इसी दिन यमुनोत्री मंदिर में स्थापित कर दिया जाएगा।