बोलेने लगेंगी उत्तराखंड के उजडे़ हुए घरों की दीवारें

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उत्तराखंड के खाली हो चुके वीरान गांव अपनी दांस्तां खुद बयान करते हैं। खाली पड़े घर, बेतरतीब उग रही झाड़ियां, बंजर पड़े खेत ये सब कहानी बताते हैं अपने बाशिंदों की जो बेहतर जिंदगी की तलाश में पहाड़ों से पलायन कर शहरों की तरफ चले गये। ये उजड़े गांव सबूत है सालों से चली आ रही सरकारी उदासीनता और खोखले वादों की। हर चुनावों में जिस शिद्दत से नेता पलायन को चुनावी मुद्दा बनाते हैं उसी रफ्तार से चुनाव होते ही उसे भूल भी जाते हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने #selfiefrommyvillage नाम से ट्टवीटर पर कैंपेन भी शुरु किया। कदम तो उठाया लेकिन क्या ये कदम पलायन जैसी समस्या से निपटने के लिये सरकार द्वारा लिये जा रहे पहले कदमों में से होना चाहिये था?

वहीं राजनेताओं से अलग कुछ उत्तराखंडी पहाड़ों को अपनी खो रही रौनक लौटाने के लिये अपनी कोशिशों में लगे हुए हैं। ऐसे ही एक उत्तराखंडी हैं दीपक रमोला, पेंटर और स्किल ऐजूकेटर दीपक रमोला अपनी छोटी टीम के साथ उत्तराखंड के पहाड़ों में एक प्रोजेक्ट को अंजाम दे रहे हैं। पहाड़ के वीरान हो रहें गांवों की दीवारों पर पेंटिंग के जरिये कहानियां बना रहे हैं। इसके लिये दीपक ने टिहरी के विरान हो रहे सौर गांव को चुना, जिसमें कभी 62 परिवार रहतें थे अाज यहा सिर्फ 12 परिवार ही रह गये हैं।

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दीपक की कौर टीम में आठ सदस्य हैं जिनमें हेड आर्टिस्ट पूर्णिमा विश्व ख्याति प्राप्त कलाकार के साथ फ़ोटोग्राफ़र विभोर यादव अौर टाइपोग्रैफी आर्टिस्ट नितेश यादव टीम को बल देते हैं। दीपक इन 12 परिवारों के जीवन को पिछले डेढ़ महीनों से चरितार्थ करने मेें लगे हैं। वह बतातें हैं, ‘पलायन शुरु से ही चिंत्ता का विषय रहा है। सीरिया के रेफ्यूजियों के साथ काम कर के पिछले साल जब मैं वापस आया तो देखा कि उत्तराखंड में पलायन काफ़ी बढ़ी समस्या बन चुका है। मै इसके लिये कुछ ख़ास करना चाहता था। इसलिये हमारी टीम ने राज्य के ख़ाली हो चुके गाँवों मे बचे परिवारों से बात कर उनकी कहानियाँ संग्रह करनी शुरू की। हमारा मक़सद है पहाड़ छोड़ कर जा चुके लोगों के लिये उनकी विरासत को चित्रों के माध्यम से संजो के रखना। इसके साथ ही यहाँ रह कहे लोगों के लिये पर्यटन के माध्यम से रोज़गार के आयाम विकसित करना भी हैं।

अपने आर्ट के बारे में पूर्णिमा बताती हैं कि, “हर पेंटिंग अपनी अलग कहानी बयां करती है। ये तस्वीरें यहाँ के लोगों के जीवन, उनके संघर्ष, ग़म और ख़ुशियों को दर्शाती हैं अौर गाँव के लोगों को उन्हें यह से जोँङ कर रखने का प्रयास करती हैं।