ग्लोबल वार्मिंग के चलते जल्द खिल उठे बुरांस के फूल

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1997

भारत की 6 ऋतुओं में से एक वसंत ऋतु है। अंग्रेज़ी कलेंडर के अनुसार फरवरी, मार्च और अप्रैल माह में वसंत ऋतु रहती है। वसंत कोऋतुओं का राजा अर्थात सर्वश्रेष्ठ ऋतु माना गया है।  इस समय पंच-तत्त्व यानी जल, वायु, धरती, आकाश और अग्नि सभी अपना मोहकरूप दिखाते हैं।ऐसे में  आकाश भी स्वच्छ रहता है, वायु सुहावनी लगती है, अग्नि यानी सूर्य रुचिकर हो जाता है तो जल पीयूष के समानसुख दाता और धरती उसका तो कहना ही क्या वह तो मानों सौंदर्य का दर्शन कराने वाली प्रतीत होती है। पुरे राज्य में वसंत ऋतु कामहोत्सव शुरू हो जाता है। उसी तरह उत्तराखंड की राजधानी राज भवन में वसंत ऋतु महोत्सव की तैयारिया भी जोरो शोरो पर हैं।

देवभूमि से ठंडक ने अब हौले-हौले विदाई की ओर कदम बढ़ा दिए हैं और इसी के साथ बिखरने लगी है वासंती छटा। खेतों में लहलहातीसरसों की फसल खिल उठे है वहीं पहाड़ में खेतों की मुंडेर और चट्टानों पर खिले फूल वसंत का स्वागत करते नजर आ रहे हैं।

मौसम भी इसमें सुर से सुर मिला रहा है। शायद तभी तीन दिन से डेरा डाले ये बादल भी शांत हैं। उधर, मौसम विभाग की मानें तो मौसमका यह रंग बरकरार रहेगा। मौसम से अब ठिठुरन करीब-करीब गायब हो चला है। वातावरण में दिन में हल्की गर्मी महसूस होने लगी है,जबकि सुबह-शाम व रात में हल्की ठंडक हैं।यानी बेहद खुशनुमा मौसम। और इसी के साथ बिखर रही है वासंती छटा। पेड़-पौधों पर नईकली फूटने लग गई हैं तो खेतों में लहलहाते सरसों के फूल आकर्षित कर रहे हैं। पहाड़ी इलाकों को ही लें तो खेत-खलिहानों की मुंडेर औरचट्टानों पर खिले फ्योंली के पीले फूल उसके सौंदर्य में चार -चांद लगा रहे हैं। पहाड़ो में बुरांस के सुर्ख फूल गजब की लालिमा बिखेर रहे हैं।

यानी हर तरफ नजर आता है तो सिर्फ और सिर्फ वसंत की छटा। और इंद्रदेव भी इसमें कोई खलल नहीं डालना चाहते। शायद यही वजहभी है कि तीन दिन तक डेरा डाले बादल को बरसना गवारा नहीं हैं।

चमोली जिला की 40 वर्षीय श्रीमती सुनीता जो पर्यवेक्षक के तौर पर कार्यरत हैं उन्होंने बताया कि उनकी फैक्ट्री में जैम, चटनी,अचार व बुरांस का रस तैयार किया जाता है, हमेशा मार्च के महीने के समय ही बुरांस खिलता था पर इस बार पहले ही हमारे फैक्ट्री में आ गया है। ऐसे ही मसूरी वासियों ने कहा कि आमतौर पर बुरांस हमेशा मार्च के आखिरी दिनों में खिला उठा दिखता था पर इस बार फरवरी के शुरुआती दिनों में ही खिलता नजर आ रहा है।सीईडीएआर के वन विशेषज्ञ विशाल सिंह के अनुसार इन सर्दियों में फूलों का जल्दी खिलना सर्दियों में कमी आना है और गर्म मौसम का आगाज है। इस तरह अगर हमने गौर किया हो तो दिसम्बर के मौसम में गर्मी का आना अपने नियमित समय से पहले आने से बुरांस की कली खिल गयी है।

मौसम परिवर्तन एक कड़वा सच है, और बुरांस बाकी और पेड़ो की तरह अपने आप को उसके अनुरूप ढाल चूका है।