मरीजों के लिए देवदूत बने डा. प्रेम 

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चीन सीमा से लगा अति दुर्गम और बर्फीला क्षेत्र, जहां कदम-कदम पर अनहोनी घटना सामान्य बात है। बीमार पड़ने पर यहां से 50 किमी दूर धारचूला जाकर ही प्राथमिक उपचार मिल पाता है। बरसात में तो मार्ग बंद होने पर धारचूला पहुंच पाना भी संभव नहीं। ऐसे में बीमार का भगवान ही सहारा रह जाता है। ऐसे दुर्गम स्थल में डॉ. प्रेम सिंह नगन्याल देवदूत की भूमिका निभा रहे हैं।

भारतीय रेलवे में उप चिकित्सा निदेशक रहे प्रेम सिंह सेवानिवृत्ति के बाद किसी महानगर में बसने के बजाय मातृभूमि की सेवा का संकल्प लेकर गांव नागलिंग लौट आए। प्रेम ने दुर्गम क्षेत्र में 9000 फीट की ऊंचाई पर बसे गांव की दुश्वारियां झेली थीं। इसलिए सुख-सुविधा संपन्न शहरों को छोड़ उन्होंने दारमा को अपनी कर्मस्थली बनाया।

वर्तमान में वह दारमा के 14 गांवों सहित दारमा आने वाले लोगों की सेवा में जुटे हैं। ग्रामीणों के बीमार पड़ने पर प्रेम उनका स्वास्थ्य परीक्षण करने के साथ उन्हें निःशुल्क दवा देकर जीवन दे रहे हैं। उनकी पुत्री धारचूला में चिकित्सक हैं, जबकि पुत्र बैंकों में ऊंचे ओहदों पर हैं।

क्षेत्र पंचायत सदस्य मनोज नगन्याल के मुताबिक डॉ. प्रेम नगन्याल क्षेत्र के लिए किसी भगवान से कम नहीं हैं। उनके लोगों को उपचार दिए जाने से सीमा छोर के लोगों को काफी राहत मिल रही है।