मसूरी में भी होगी अब ज़रूरतमंदों के लिये “गूंज”

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एक बार फिर पहाड़ों की रानी मसूरी तैयार है एक शानदार काम करने के लिए। गूंज एक ऐसी संस्था है जिसको समाजिक सरोकार से जुड़े कामों के लिए बहुत से पुरस्कार मिले हैं। गूंज संस्था के लोग शहरों और ऐसे क्षेत्रों से क्लेक्शन करते हैं जहां लोग अपनी मर्जी से जरुरत की चीजें इस संस्था को देते हैं। गूंज का काम हैं ऐसे गांव के लोगों का विकास करना जहां विकास की कमी है।लेकिन अब यह विकास केवल गांव तक सीमित नहीं हैं पहाड़ी क्षेत्र मसूरी में गूंज अपने नए 4 कलेक्शन सेंटर शुरु करने जा रहा है।

मैगसेसे अवार्ड जीतने वाले अंशू गुप्ता कहते हैं कि “मसूरी के लोगों से हमारा बहुत सरल और सीधा निवेदन है, लोग अपने घर में पड़ी कोई भी ऐसी चीज दे सकते हैं जिसकी उन्हें जरुरत नहीं और जो किसी जरुरतमंद की मूलभूत आवश्कता पूरी कर सके।” अंशु बताते हैं कि “हमे हमेशा ऊनी कपड़ों की कमी रहती हैं और दूर-दराज के गांवों की सर्दी भी चरम पर होती है। राशन,स्कूल में इस्तेमाल की चीजें और हर तरह की आर्थिक मदद हमारी संस्था के लिए बहुत फायदेमेंद हैं और इन सबके साथ ही गूंज लंबे समय के लिए जरुरतमंदों की मदद कर सकता है।”

अंशु गुप्ता के लिए मसूरी और देहरादून खास हैं, वो बताते हैं कि “यह पहाड़ी क्षेत्र मेरे बचपन की बहुत सी यादें संजोएं हुए हैं ।उन्होंने बताया कि मेरी मां भी देहरादून से है, और काफी साल पहले मेरे नानाजी की पोस्टिंग मसूरी में पोस्टल डिर्पाटमेंट में थी और मेरी मां ने मसूरी में अपना काफी समय बिताया है।” अंत में अंशु बचपन के दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि मसूरी और सहस्त्रधारा तो हमारे लिए डे-ट्रिप डेस्टिनेशन हुआ करता था।

गूंज के नए 4 ड्राप सेंटरः लैंडोर मसूरी, दो सेंटर माल रोड पर और चौथा हाथीपांव, जो लगभग शहर के हर क्षेत्र को कवर कर रहा है। कैफे आईवी के मोहित मित्तल कहते हैं कि यह हमारे लिए सौभाग्य की बात हैं कि हम गूंज जैसी संस्था के साथ जुड़े हैं।कैफे में रखे कलेक्शन बाक्स की मदद से दूर-दराज के जरुरतमंद लोगों की मदद हो पाएगी यह हमारे लिये गर्व की बात हैं।

2013 में आपदा के बाद गूंज ने लगभग 700 गांवों में काम किया जिसके आफिस ऋषिकेश, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ में हैं।

गूंज द्वारा किए जा रहे बेहतरीन काम की एक झलक यहां जरुर देखेंः