राजराजेश्वरी की डोली गैरोली पातल, कुरूड दशोली की डोली रामणी और बंड की नंदा छंतोली पंचगंगा पहुंची
नंदा को विदा करते हुये सिसकती रही ध्याणियां, जागरों गाकर किया विदा
पिछले एक पखवाड़े से चल रही हिमालय की अधिष्ठात्री देवी मां नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा सोमवार को अपने अंतिम पडाव पर पहुंच गयी। रात्रि विश्राम के लिए बधाण की नंदा राजराजेश्वरी की डोली वाण गांव से रणकधार, नीलगंगा, जौंल मंगरी होते हुई गैरोली पातल पहुंच गयी। कुरुड दशोली की डोली रामणी और बंड की नंदा छंतोली पंचगंगा पहुंची। मंगलवार को नंदा सप्तमी के अवसर पर मां नंदा की पूजा अर्चना और समौण भेंट कर मां नंदा को कैलाश की ओर विदा करने के पश्चात लोकजात यात्रा का समापन हो जायेगा। वाण गांव से नंदा की डोली को वाण गांव के हीरा सिंह नेगी, धन सिंह पंचोली, रणजीत सिंह, राजेन्द्र सिंह, उमराव सिंह, प्रदीप दानू अंतिम पड़ाव गैरोली पातल ले गये।
इस अवसर पर वाण गांव में गढ़भूमि एडवेंचर की ओर से पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए पौधरोपण किया गया, जिसमें देवदार, सुराईं, जामुन, मोरपंखी, बेलपपत्री सहित विभिन्न प्रजातियों के पेड़ लगाये गये। गढ़भूमि एडवेंचर के सीईओ हीरा सिंह गढ़वाली नें बताया वे हर साल मां नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा के दिन पौधरोपण का कार्य करते हैं ताकि ये पेड़ हमारी लोकसंस्कृति के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देते रहें।