उत्तराखंडः चमोली में प्रसूता को 8 किमी कंधे पर लादकर ले गए

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चमोली
(गोपेश्वर)  चमोली जिले में लचर स्वास्थ्य सुविधाओं व सड़कों के अभाव के कारण यहां के लोगों का जीवन मुसीबत भरा बना हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में समुचित स्वास्थ्य सुविधा न होने के कारण कई मरीज रास्ते में ही दम तोड़ चुके है। आए दिन लोग अपने बीमारों को कंधे पर लाद कर सड़क मार्ग तक पहुंचा कर उन्हें अस्पताल तक ले जा रहे हैं।
सोमवार को भी एक ओर वाकया चमोली जिले के जोशीमठ विकास खंड के दूरस्थ गांव किमाणा में पेश आया। गांव के मुकेश कोटवाल की पत्नी दीपा देवी ने तीन दिन पूर्व घर पर ही एक बच्चे को जन्म दिया। उसके बाद से उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। सोमवार को तबीयत कुछ ज्यादा की खराब होने पर गांव की महिलाओं व पुरुषों ने महिला को पालकी के सहारे आठ किलोमीटर कंधे पर लाद कर लंगसी में बदरीनाथ हाइवे तक पहुंचाया जहां से उसे 108 वाहन के माध्यम से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जोशीमठ पहुंचाया गया है।
किमाणा के क्षेत्र पंचायत सदस्य रोशनी नेगी व प्रधान मुकेश चंद्र सेमवाल ने बताया कि गांव में आयुर्वेदिक चिकित्सालय के साथ एक उपकेंद्र भी है लेकिन यहां पर एक भी चिकित्सक की तैनाती नहीं की गई है। दोनों की  चिकित्सालयों में फार्मेसिस्ट तैनात है लेकिन वे भी सप्ताह में एक या दो दिन ही यहां आते है। इससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गांव सड़क से आठ किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसे में गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को अस्पताल तक पहुंचाना कठिन हो जाता है।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में कई बार शासन-प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग से गुहार लगाई गई लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि सोमवार की सुबह दीपा देवी की तबीयत ज्यादा की खराब होने पर ग्रामीण उन्हें पालकी के सहारे कंधे पर लाद कर मुख्य सड़क तक ले गये। जहां से उन्हें सीएचसी जोशीमठ पहुंचाया गया है। उन्होंने कहा कि यदि गांव में की चिकित्सक की तैनाती हो गई होती तो आज एक महिला व उसके नवजात शिशु की जान खतरे में न आती लेकिन न तो सरकार का और ना ही शासन प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग का  ध्यान इस ओर जा रहा है।
चमोली के मुख्य चिकित्साधिकारी डा. जीएम राणा ने कहा कि जोशीमठ के किमाणा उपकेंद्र में चिकित्सक की तैनाती को लेकर मामला मेरे संज्ञान में आया है। इसे गंभीरता से लिया जा रहा है। जल्द की कोई सकारात्मक पहल की जायेगी।