उत्तराखंड में पहली बार सरकारी पट्टे आदि के आवंटन के लिये ई-आॅक्शन प्रक्रिया की शुरुआत हो गई है। राज्य के अलग अलग जलिों में खनिज लाॅटों के आवंटन के लिये सरकार ने ई-निविदा सह ई-नीलामी की प्रक्रिया लागू कर दी है। इस प्रक्रिया के तहत पहले चरण में ई-निविदा प्रक्रिया संपन्न होनी होती है तथा ई-निविदा के सफल घोषित लोगों को ई-आॅक्शन में हिस्सा लेने के लिये इजाजत दी जाती है।
गौरतलब है कि कई सालों से राज्य में खनन माफिया के सक्रिय होने के मामले सामने आते रहे हैं। इसके चलते न केवल नेता बल्कि अधिकारी भी अवैध खनन और खासतौर पर खनन के पट्टे देने में अनियमित्ताऐं बरतने के आरोपों से घिरते रहे हैं। यही नहीं सरकार ने जब जांच राी तो सामने आया कि निगमों को पूर्व में आवंटित लाॅटों (2012-13) में आज तक खनन कार्य ही शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे में ये साफ था कि रिक्त और अचिन्हित खनन लाॅट ही अवैध खनन के लिये सुगम स्थल होते हैं। सरकार ने निगमों से ऐसे सभी लाॅट वापिस ले ई-नीलामी प्रक्रिया के द्वारा आवंटन किये जाने का फैसला किया है।
फिलहाल लगभग 140 लाॅटों के आवंटन की प्रक्रिया शुरू की गई है। बुधवार को हरिद्वार जनपद के भगवानपुर तहसील के दो खनन लाॅटों की ई-आॅक्शन प्रक्रिया पूरी हुई। संपूर्ण प्रक्रिया निर्बाध रूप से संपन्न हुई है।ई-नीलामी में समाचार लिखे जाने तक 4,91,85,976-00 रूपये की बोलियां मिल चुकी थीं। बहरहाल इस रियल टाइम आॅनलाइन प्रक्रिया का राज्य में पहला प्रयोग फिलहाल सफल दिख रहा है। लेकिन इसके साथ साथ अवैध खनन पर पूरी तरह रोक तब लगेगी जब ज़मीनी स्तर पर हो रही धांधलियों को भी रोकने के लिये सरकार कोई कारगर तरीका इख्तयार करे।