महिलाओं के लिये यह खबर है ज़रूरी, क्या है सरकार का “वन स्टॉप सेंटर”

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महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से उत्तराखंड राज्य के चार जिलों में पीड़ित महिलाओं को एक ही छत के नीचे न्याय दिलाने के उद्देश्य से वन स्टॉप सेंटर(ओएससी) बनाए गए हैं। वन स्टॉप सेंटर क्या है, अधिकतर महिलाओं को इसके बारे कुछ भी पता नहीं है। इसका कारण वन स्टॉप सेंटरों के प्रचार-प्रसार में कमी है। यह योजना सन् 2012 में निर्भया कांड के बाद विशेष पहल के रूप में शुरू की गई थी। जिससे किसी भी प्रकार की हिंसा की शिकार महिला को एक ही छत के नीचे हर तरह की मदद व न्याय मिल सके।
इस योजना के तहत घरेलू हिंसा, बलात्कार, मानव तस्करी या तेज़ाब हमलों की शिकार महिलाओं के लिए वन स्टॉप सेंटर में एफआईआर, मेडिकल, कानूनी और मनोचिकित्सक की मदद नि:शुल्क देने की व्यवस्था है। साथ ही पीड़ितों के ठहरने की भी व्यवस्था इस योजना में शामिल है लेकिन प्रचार-प्रसार में कमी के चलते अधिकतर महिलाओं को वन स्टॉप सेंटर के बारे में कोई जानकारी है।
वन स्टॉप सेन्टर के बारे में स्कूल कालेजों में पढ़ने वाली छात्राओं और विभिन्न संस्थाओं में जॉब कर रही महिलाओं से जब पूछा गया तो सवाल के जवाब में सवाल मिला, क्या है वन स्टॉप सेंटर। ऐसी एक दो नहीं बड़ी संख्या में लड़कियां व महिलाएं इस योजना से अनभिज्ञ है।
उत्तराखंड में हरिद्वार, उधमसिंह नगर, देहरादून और नैनीताल जिले में वन स्टाप सेन्टरों की स्थापना की गई है। राजधानी देहरादून में सर्वे चौक स्थित वन स्टॉप सेन्टर की एडमिनिस्ट्रेटर माया नेगी ने बताया कि दिसम्बर,2017 में सेन्टर की स्थापना हुई थी, तब से लेकर 31 मई तक कुल 57 मामले समाने आये हैं, जिनमें से 26 मामले क्लोज्ड हो चुके हैं।
महिलाओं में वन स्टॉप सेन्टर के प्रति जागरुकता के बारे में पूछे जाने पर माया नेगी ने कहा कि समय-समय पर स्कूलों और कॉलेजों में जगरुकता अभियान चलाया जाता है। इसके साथ विभिन्न स्थानों पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में जा कर लोगों को सेन्टर व यहां से मिलने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी दी जाती है।