वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए फॉरेस्ट फायर अलर्ट सिस्टम को हथियार बनाएगी सरकार

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जंगल

आपदा प्रभावित उत्तराखंड के हरे-भरे पहाड़ों और जंगलों को आग से बचाने के लिए धामी सरकार पुख्ता इंतजाम करने में जुटी हुई है। ताकि अगले वर्ष गर्मी के दिनों में जंगलों को आग से बचाया जा सके। इसके लिए वन विभाग फॉरेस्ट फायर अलर्ट सिस्टम को हथियार बनाएगा, जो आग लगने पर तुरंत अलर्ट करेगा और वनाग्नि पर काबू पाने में सहायक बनेगा।

उत्तराखंड राज्य में वनाग्नि सूचना प्रबंधन प्रणाली को डिजिटलाइजेशन करते हुए फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल एप विकसित किया गया है। इससे वनाग्नि की रोकथाम में लगने वाले रिस्पॉस टाइम में अत्यधिक कमी लाई जा सकेगी। फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल एप को संचालित किए जाने के ​लिए अपर प्रमुख वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन उत्तराखंड के निर्देशन में प्रभागीय वनाधिकारी हरिद्वार वन प्रभाग वैभव कुमार की ओर से मास्टर कंट्रोल रूम आपॅरेटर व मास्टर ट्रेनर को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। प्रशिक्षण के लिए प्रत्येक वन प्रभाग से दो मास्टर ट्रेनर, एक कम्प्यूटर ऑपरेटर एवं एक मास्टर कंट्रोल रूम कार्मिकों को नामित कर प्रशिक्षण तिथियां निर्धारित की गई है।

वर्तमान में गढ़वाल एवं भागीरथी वृत्त के अंतर्गत 11 व 13 नवंबर को प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न कराया गया है। इसी प्रकार आगामी 14 नवंबर को शिवालिक वृत्त, 16 नवंबर को उत्तरी कुमाऊं वृत्त, 18 नवंबर को दक्षिणी कुमाऊं वृत्त, 19 नवंबर को पश्चिमी वृत्त तथा 20 नवंबर को कार्बेट टाइगर रिजर्व एवं राजाजी टाइगर रिजर्व के अंतर्गत प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न कराया जाना है। प्रत्येक वन प्रभाग के अंतर्गत वनाग्नि की रोकथाम में लगने वाले रिस्पॉस टाइम पता करने के लिए दो वाहनों में जीपीएस लगाकर फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल एप के माध्यम से ट्रैक किया जाएगा। इसके लिए हरिद्वार वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी स्तर से कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।

इसके अलावा वनाग्नि अलर्ट तत्काल प्राप्त किए जाने के लिए मिशन मोड पर अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ ही ग्राम प्रधानों, वन पंचायत सरपंचों व विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को भी फॉरेस्ट फायर अलर्ट सिस्टम से जोड़ा जाएगा। वर्तमान में फॉरेस्ट फायर अलर्ट सिस्टम पर 11,317 सब्सक्राइबर जोड़े गए हैं। इसे और अधिक बढ़ाने की कार्यवाही गतिमान है।