उत्तराखंड में राज्य सरकार ने 27 नवंबर 2024 से 7,477 ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह आदेश हरिद्वार जिले को छोड़कर राज्य की सभी ग्राम पंचायतों के लिए लागू होगा। बुधवार शाम से राज्य के अधिकांश क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों के कार्यकाल की समाप्ति के साथ ही सहायक विकास अधिकारियों को प्रशासक के रूप में नियुक्त किया जाएगा।
राज्य के सचिव चंद्रेश कुमार के आदेश के मुताबिक, 27 नवंबर से राज्य की सभी ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा और नई पंचायतों के गठन या कार्यभार ग्रहण करने के छह महीने के भीतर प्रशासक नियुक्त किए जाएंगे। इसका मतलब है कि इन पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों के कार्यकाल की समाप्ति के बाद प्रशासकों को नियुक्त किया जाएगा, जो केवल सामान्य प्रशासनिक कार्यों का संचालन करेंगे, लेकिन कोई नीति निर्धारण नहीं करेंगे। इन्हें मिलेगा प्रशासक का पद ग्राम पंचायतों के प्रशासकों के रूप में राज्य के विभिन्न विकासखंडों के सहायक विकास अधिकारी (एडीओ) नियुक्त किए जाएंगे। इसके अलावा, क्षेत्र पंचायतों के प्रशासकों के रूप में एसडीएम (उप जिला मजिस्ट्रेट) नियुक्त किए जाएंगे। इन नियुक्तियों के लिए संबंधित जिलाधिकारियों को अधिकार दिया गया है।
29 नवंबर को होगी क्षेत्र पंचायतों में नियुक्ति राज्य के क्षेत्र पंचायतों में 29 नवंबर को प्रशासकों की नियुक्ति की जाएगी। इस तारीख से पहले हरिद्वार जिले को छोड़कर राज्य के बाकी क्षेत्रों में एसडीएम को क्षेत्र पंचायतों का प्रशासक बनाया जाएगा। प्रशासक अपनी ग्राम पंचायतों और क्षेत्र पंचायतों में केवल सामान्य कार्यों का संचालन करेंगे और वे किसी भी प्रकार के नीतिगत निर्णय नहीं ले सकेंगे। उनका मुख्य कार्य प्रशासनिक कार्यों को सुचारू रूप से चलाना होगा। हरिद्वार जिले में लागू नहीं होगी यह व्यवस्था इस निर्णय से राज्य के लगभग सभी गांवों और पंचायतों में प्रशासकों के रूप में अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ हो जाएगी। हालांकि, हरिद्वार जिले में यह व्यवस्था लागू नहीं होगी और वहां के स्थानीय प्रशासन के लिए अलग से निर्णय लिया जाएगा।
दरअसल, उत्तराखंड सरकार ने यह कदम पंचायतीराज व्यवस्था को कुशलतापूर्वक चलाने के लिए उठाया गया है। निर्वाचित पंचायतों के कार्यकाल की समाप्ति के बाद कोई प्रशासनिक कार्य में अड़चन न हो। ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों में कोई रुकावट न आए और लोग बिना किसी परेशानी के सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें।