सरकार के तीर्थाटन व पर्यटन के दावों की पोल खोलता रूद्रनाथ यात्रा मार्ग

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गोपेश्वर। पंचकेदारों में चतुर्थ केदार रुद्रनाथ के यात्रा मार्ग पर उत्तराखंड सरकार के पर्यटन व तीर्थटन विकास को लेकर किए जा रहे दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। पंच केदारों में से चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर की तीर्थयात्रा के लिए तीर्थयात्रियों को 19 किमी की पैदल दूरी तय करनी होती है। लेकिन यहां प्रशासन की ओर से यात्रामार्ग पर किसी भी प्रकार की यात्री सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है। जिसके चलते यहां आने वाले तीर्थयात्रियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
चमोली-ऊखीमठ मोटर मार्ग पर सगर गांव से 19 किमी की पैदल दूरी पर स्थित रुद्रनाथ मन्दिर पंच केदारों में चतुर्थ केदार है। पूरे भारतवर्ष में मात्र इसी मन्दिर में भगवान शिव के शीर्ष के दर्शन होते हैं। लेकिन वर्तमान तक शासन और प्रशासन की ओर से मन्दिर में तीर्थटन के विकास के लिए कोई पुख्ता योजना तैयार नहीं की जा सकी है। जिसके चलते यहां सीमित संख्या में ही पर्यटक और तीर्थयात्री पहुंचते हैं। सरकारी मशीनरी की लापरवाही का आलम यह है कि रुद्रनाथ मन्दिर के यात्रा मार्ग पर जिला प्रशासन की ओर से न तो पेयजल की व्यवस्था की गई है और न ही 19 किमी लम्बे पैदल मार्ग पर शौचालय की ही व्यवस्था है। ऐसे में यहां यात्रा करने वाले तीर्थयात्री खुले में शौच करने का मजबूर हैं। वहीं मन्दिर परिसर में पेयजल की व्यवस्था न होने से तीर्थयात्री यहां एक किमी की दूरी से पेयजल ढोने को मजबूर हैं। मन्दिर के पुजारी मंयक तिवारी, हरीश भट्ट, देवेंद्र सिंह और सतेंद्र सिंह का कहना है कि यात्रा मार्ग पर यात्री सुविधाओं के विकास की कई बार जिला प्रशासन से मांग उठाई गई। लेकिन वर्तमान तक स्थिति जस की तस बनी हुई है।
क्या कहते है अधिकारी
चमोली जिला पर्यटन अधिकारी विजेंद्र पांडे ने बताया कि रुद्रनाथ मन्दिर संरक्षित वन क्षेत्र में है। ऐसे में यहां योजनाओं का संचालन केदानाथ वन विभाग के माध्यम से किया जाता है। यदि मन्दिर समिति की ओर से प्रस्ताव दिया जाता है। तो मामले में उच्चाधिकारियों से पत्राचार कर कार्रवाई की जाएगी।