राज्य आंदोलनकारियों को सम्मान का दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर बात न बनी तो बवाल हो गया। आंदोलनकारियों की दोबारा जांच की बात पर लोग भड़क उठे। उन्होंने एडीएम व एसडीएम को कमरे में कैद कर बंधक बना लिया। डेढ़ घंटे तक अफसरों के बंधक रहने से प्रशासनिक अमले में हड़कंप मचा रहा। नगर पंचायत सभागार में पिछले 19 दिनों से सम्मान के मुद्दे पर राज्य आंदोलनकारी अनशन पर बैठे हैं। इस अवधि में चिह्नीकरण को ठोस समाधान तो नहीं निकला। प्रशासन ने एक के बाद दूसरे भूख हड़ताल पर बैठे तीन आंदोलनकारियों को जबरन उठा कर अस्पताल भर्ती करा दिया। इधर कुंदन राम आमरण अनशन पर बैठ गए।
यहां डीएम सविन बंसल ने वार्ता को पहुंचना था। मगर एडीएम केएस टोलिया को भेजा गया। अनशनकारियों को मनाने का दौर शुरू हुआ। हल्की गहमागहमी के बीच बात ठीक ठाक होती रही। तभी एडीएम ने साक्ष्यों के आधार पर राज्य आंदोलनकारियों की जांच दोबारा करने की बात कही। इस पर बखेड़ा खड़ा हो गया। आपा खोए आंदोलनकारियों ने कमरा भीतर से बंद कर उन्हें बंधक बना लिया। इससे बाहर मौजूद तहसीलदार नितेश डागर व पुलिस कर्मी सकते में आ गए। भीतर हो हल्ला मचने पर थाने से पुलिस फोर्स मंगा ली गई। तीसरी मंजिल स्थित कक्ष को घेर लिया गया। रात्रि आठ बजे तक दोनों अधिकारी बंधक बने रहे।