1962 के युद्ध के बाद यहां की सैर पर लगा बैन अब हटा लिया गया

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2022

उत्तरकाशी जिले के हर्सिल कस्बे को इन लाइन (आंतरिक सुरक्षा रेखा) से मुक्त कर दिया गया है। गृह मंत्रालय ने 19 जून को इस आशय के आदेश जारी कर दिए। इसी के साथ अब विदेशी सैलानी भी प्रशासन की अनुमति से भारत-चीन सीमा पर स्थित नेलांग घाटी की सैर कर सकेंगे।दरअसल, 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद बने हालात के मद्देनजर भारत सरकार ने उत्तरकाशी के इनर लाइन क्षेत्र में पर्यटकों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया था। लंबे समय से उत्तरकाशी के होटल और ट्रैकिंग संचालक इस प्रतिबंध को हटाने की मांग कर रहे थे। इस पर वर्ष 2014 में गंगोत्री नेशनल पार्क और स्थानीय प्रशासन ने प्रस्ताव बनाकर गृह मंत्रालय को भेजा।

2015 में गृह मंत्रालय ने भारतीयों को नेलांग जाने की अनुमति दे दी। हालांकि विदेशियों पर प्रतिबंध बरकरार रहा। अप्रैल में जिला प्रशासन ने इनर लाइन के संबंध में शासन को विस्तृत रिपोर्ट भेजी। रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड के मुख्य सचिव एस. रामास्वामी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र भेज हर्षिल को इनर लाइन मुक्त करने का आग्रह किया। इस पर गृह मंत्रालय ने  जिला प्रशासन से हर्षिल के बारे में आवश्यक दस्तावेज मांगे। प्रशासन के दस्तावेज भेजने के बाद आदेश जारी कर दिए गए। आदेश के मुताबिक इनर लाइन अब हर्षिल कस्बे से 50 मीटर दूर होगी। हालांकि इसको स्थानीय प्रशासन ही चिह्नित करेगा।

आदेश के अनुसार देशी-विदेशी सैलानी नेलांग घाटी जा तो सकेंगे, लेकिन इनर लाइन क्षेत्र में उन्हें रात बिताने की अनुमति नहीं होगी। उत्तरकाशी से 75 किलोमीटर दूर हर्षिल के इनर लाइन से बाहर होने से पर्यटक यहां ठहर सकेंगे।उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि “हालांकि प्रशासन को अभी इस बारे में आदेश नहीं मिला है, लेकिन गृह मंत्रालय को सभी रिपोर्ट भेज दी गईं थीं।” उन्होंने कहा कि आदेश मिलने पर अन्य औपचारिकताएं भी पूरी कर ली जाएंगी।

सराकार के इस कदम का लोग भी स्वागत कर रहे हैं। उत्तराखंड को करीब से देखने वाले गणेश सैली क कहना है कि “ये काम बहुत पहले ही कर देना चाहिये था। सैलानियों पर पाबंदी के कारण इस इलाके में पर्यटन  उद्योग पनप नहीं पा रहा था। हांलाकि अब ये उम्मीद की जा सकती है कि यहां लोगों को रोजगार और कमाई के और साधन मिल सकेंगे”

दूसरे देशों की सीमाओं के नजदीक स्थित वह क्षेत्र, जो सामरिक दृष्टि से महत्व रखता हो, इनर लाइन घोषित किया गया है। इस क्षेत्र में सिर्फ स्थानीय लोग ही प्रवेश कर सकते हैं। उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले के अलावा चमोली व पिथौरागढ़ जिलों में भी चीन सीमा से लगे इनर लाइन क्षेत्र हैं।