आपदा से बचाने के लिये सरकार करेगी गांवों को “रीलोकेट”

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उत्तराखंड सरकार ने आपदा के लिहाज से संवेदनशील गांवों को विस्थापिकत करने की तैयारी कर ली है। इस बारे में गुरुवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जिलाधिकारियों से बात की। इस प्राॅजेक्ट के पहले चरण में हर जिले से कुछ गांवों को चिह्नित किया गया है। इसके बाद इनके विस्थापन से जुड़ी प्रक्रिया शुरू की जायेगी। सरकार की इस कदम से करीब 400 ऐसे गांवों को विस्थापित करना है जो आपदा के लिहाज से अति संवेदनशील हैं और आपदा आने के समय में न सिर्फ वहां जान और माल का नुकसान ज्याद होने की संभावना है बल्कि दुर्गम इलाकों में होने के कारण वहां राहत और बचाव कामों में भी परेशानी हो सकती है।

इस प्रक्रिया में

  • 31 परिवारों वाले बागेशवर के 73 गांव
  • पिथौरागड़ के 21 गांव जिनमे 582 परिवार रहते हैं
  • 158 परिवार वाले नैनीताल के 3 गांव
  • 84 परिवार वाले अलमोड़ा के 3 गांव
  • 638 परिवार वाले उत्तरकाशी के 11 गांव
  • 507 परिवार वाले टिहरी के 8 गांव
  • 92 परिवार वाले रुद्रप्रयाग के 7 गांव
  • 888 परिवार वाले चमोली के 17 गांवों की पहचान की गई है।

इसके लिये एक डीटेलड प्राॅजेक्ट रिपोर्ट भी राज्य सरकार को दे दी गई है।इस प्राॅजेक्ट से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इस काम में लागत तो ज्यादा आयेगी ही लेकिन साथ ही साथ इतनी बड़ी तादाद में लोगों को विस्थापित करना अपने आप में आसान काम नही होगा। मुआवजे की रकम तय करने के साथ साथ इन परिवारों के लिये नये आशियाने तलाशना भी सरकार के लिये आसान नहीं होगा। राज्य के मैदानी जिलों मे ंपहले से ही जमीन की कमी हैं और पहाड़ी इलाकों में वन विभाग आदि से हरी झंडी लेना आसान काम नहीं होगा।