हड़ताल से निपटने के लिए सरकार खंगाल रही विकल्प

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देहरादून। बिजली कर्मचारियों का आंदोलन तेज होता देख सरकार इससे निपटने के लिए एड़ीचोटी का जोर लगा रही है। राज्य सरकार द्वारा हड़ताल से खड़ी होने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए हर विकल्प खंगाला जा रहा है। इसी कड़ी में दूसरे राज्यों से सम्पर्क साधने के साथ ही सेना की मदद का विकल्प पर भी विचार विमर्श किया जा रहा है। बुधवार को सचिव ऊर्जा ने इन सभी विकल्पों पर विचार करने को तीनों ऊर्जा निगमों के एमडी को तलब कर लिया है। आईटीआई व पालिटेक्निक के 25 छात्रों को ज्वाइन भी करा लिया गया है।

ऊर्जा निगम प्रबंधन ने 25 छात्रों को नियुक्ति कराते हुए टिहरी, उत्तरकाशी, देहरादून, हरिद्वार समेत तमाम दूसरे जिलों में तैनाती देना शुरू कर दिया है। एक दो दिन के भीतर दूसरे छात्रों को भी ज्वाइन कराया जाएगा। वहीं इन सभी छात्रों को पॉवर सब स्टेशन संचालन से लेकर सप्लाई सिस्टम को सामान्य किए जाने के लिए एक एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही ठेकेदारों को मैनपॉवर जुटाने के भी निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही बुधवार को सचिव ऊर्जा राधिका झा ने हड़ताल से निपटने के लिए तीनों ऊर्जा निगमों के एमडी को तलब किया है। सूत्रों के मुताबिक सरकार यूपी, हिमाचल समेत दूसरे राज्यों से संपर्क साधने के साथ ही बड़े सप्लाई स्टेशनों को सेना के हवाले भी करने का मन बना रहा है। हालांकि फाइनल बुधवार को सचिव ऊर्जा व गुरुवार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में ही तय होगा।
वहीं सरकार ने संविदा कर्मचारियों से संपर्क साधा है। संविदा कर्मचारियों के पदाधिकारियों को वार्ता के लिए बुलाया गया है। दूसरी ओर संविदा कर्मचारियों ने बिजली कर्मचारियों के आंदोलन को अभी नैतिक समर्थन ही दिया है। संगठन उपाध्यक्ष विनोद कवि ने कहा कि चार जुलाई को सचिवालय कूच में संविदा कर्मचारी भी शामिल हो रहे हैं, लेकिन हड़ताल में शामिल होने पर फैसला नहीं लिया गया है। उन्होंने संविदा कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने को वार्ता के लिए बुलाने का स्वागत किया। इस दौरान सचिव ऊर्जा राधिका झा ने साफ किया कि राज्य को अब हड़ताली प्रदेश नहीं बनने दिया जाएगा। कर्मचारियों की मांगों का निस्तारण कर दिया गया है। किसी भी संवर्ग को कोई वित्तीय नुकसान नहीं हो रहा है। इसके बाद भी कर्मचारी हठधर्मिता पर अड़े हुए हैं। इसके बाद भी कर्मचारी मानने को तैयार नहीं है। कर्मचारी हड़ताल करते हैं, तो सरकार आम जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सभी विकल्पों पर विचार कर रही है। किसी भी सूरत में आम जनता को परेशान नहीं होने दिया जाएगा।
वहीं विद्युत संघर्ष समिति ने पे मेट्रिक्स व एसीपी विसंगति की मांग के निस्तारण को लेकर दबाव तेज कर दिया है। समिति के बैनर तले कर्मचारियों ने ऊर्जा निगम मुख्यालय में कैंडल मार्च निकाल विरोध जताया। पदाधिकारियों ने साफ किया कि इस बार सरकार के साथ आर पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। 26 दिसंबर को पिटकुल मुख्यालय में रैली निकाली जाएगी। चार जनवरी को सचिवालय कूच में ताकत दिखाई जाएगी। पांच जनवरी को हड़ताल शुरू कर दी जाएगी। कैंडल मार्च में राकेश शर्मा, प्रदीप कंसल, डीसी ध्यानी, नत्थू सिंह, एमसी गुप्ता, अनिल मिश्रा, सुधीर कुमार, संदीप शर्मा, पवन रावत, सोहन शर्मा, अवनीश गुप्ता, आशीष सती, राजकुमार, राजेश जोशी, संदीप पंवार, सपना, वीके जैन, कविता, हारुन रशीद, विपिन कुमार, उमा शंकर, ममता बिष्ट, किशन सेमवाल, जतन सैनी आदि मौजूद रहे।