देहरादून, दून और हरिद्वार में मेट्रो रेल के सपने को जमीन पर उतारने के लिए सरकार की कोशिशें और तेज हो गई है। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सरकार इस प्रोजेक्ट की जमीनी प्रगति लोगों को दिखाना चाहती है। हालांकि इस प्रोजेक्ट से जुड़ी तकनीकी-व्यवहारिक दिक्कतें किसी न किसी रूप में अब भी सामने खड़ी है।
मेट्रो रेल का प्रोजेक्ट पूर्ववर्ती हरीश रावत के जमाने में सामने आया था, हालांकि इस पर त्रिवेंद्र सरकार ने ज्यादा फोकस किया। नतीजतन, दून मेट्रो रेल काॅरपोरेशन ने काम करना शुरू किया। एमडी समेत अन्य डायरेक्टर नियुक्त किए गए। इस प्रोजेक्ट में सर्वे डीपीआर का काम पूरा हो चुका है, लेकिन किसी न किसी वजह से इसमें बार बार रद्दोबदल करनी पड़ी है। पिछले वर्ष आवास मंत्री मदन कौशिक के साथ ही विधायकों और अफसरों की एक टीम ने कई देशों में जाकर प्रोजेक्ट के संबंध में अध्ययन किया था। इसके बाद, सरकार अब मेट्रो रेल की जगह पाॅड टैक्सी जैसे अपेक्षाकृत कम खर्चीेले प्रोजेक्ट की तरफ बढ़ने की बात कर रही है। यह मेट्रो रेल का छोटा रूप है, जिसे मिनी मेट्रो भी कहा जा सकता है।
दरअसल, आवास मंत्री मदन कौशिक सरकार की तरफ से कई बार कह चुके हैं कि मेट्रो रेल जल्द ही दून और हरिद्वार में दौडे़गी। एक काॅरपोरेशन के बकायदा इस संबंध में काम करने के बाद सरकार ये चाहती है कि भले ही किसी एक रूट पर यह प्रोजेक्ट एक्टिव दिखे, लेकिन दिखाई जरूर देना चाहिए। इसलिए लाइट पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम के तहत काम करने पर सरकार जोर दे रही है। इस लिहाज से दून और हरिद्वार दोनों ही जगह सरकार को काम शुरू होने की उम्मीद दिखाई दे रही है। सरकार ये दबाब भी महसूस कर रही है कि यदि चुनाव से पहले प्रोजेक्ट पर जमीनी प्रगति नहीं दिखी, तो विपक्ष उसकी घेराबंदी करेगा।