कांट्रेक्ट एवं लीज फार्मिंग के जरिए पलायन रोकेगी सरकार

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(देहरादून) राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन रोकने एवं निवेशकों को आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार ने नया फार्मूला तैयार किया है। अब जड़ी-बूटी व चाय के कृषिकरण को बढ़ावा देने व राज्य के किसानों के अतिरिक्त बाहरी क्षेत्रों से भी निवेश आकर्षित किए जाने के मकसद से उत्तराखंड राज्य में को-आॅपरेटिव फार्मिंग, कांट्रेक्ट फार्मिंग एवं लीज फार्मिंग की दिशा में विचार किया जा रहा है।

बुधवार को उद्यान एवं रेशम सचिव डी.सेंथिल पांडियन ने बताया कि राज्य में पलायन रोकने एवं निवेशकों को आकर्षित करने के लिए को-आॅपरेटिव फार्मिंग, कांट्रेक्ट फार्मिंग एवं लीज फार्मिंग के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। उन्होंने बताया कि इसके नीति निर्धारण के लिए विशेष समिति का गठन किया जा चुका है। समिति में अपर सचिव, उद्यान को अध्यक्ष नामित किया गया है।

इसके साथ ही निदेशक उद्यान, निदेशक जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान गोपेश्वर, निदेशक उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड अल्मोड़ा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, भेषज विकास इकाई देहरादून, वैज्ञानिक प्रभारी सगन्ध पौधा केन्द्र, सेलाकुई देहरादून व सचिव राजस्व विभाग (उत्तराखंड शासन द्वारा नामित अधिकारी) को ‘विशेषज्ञ समिति’ में सदस्य नामित किया गया है। सचिव पांडियन ने बताया कि, “समिति राज्य में आगामी 8-10 वर्षों के लिए एक वृहद कार्ययोजना तैयार करेगी। उन्होंने बताया कि कार्ययोजना को बड़े पैमाने पर जल्द से जल्छ लागू करने के लिए समिति को युद्ध स्तर पर कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं। समिति आगामी एक माह के अन्दर रिपोर्ट शासन को उपलब्ध करायेगी।”