राज्य स्थापना दिवस पर राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल ने पुलिस लाईन में आयोजित रैतिक परेड़ की सलामी ली। राज्यपाल ने सराहनीय कार्य करने पर पुलिस अधिकारियों व पुलिसकर्मियों को राष्ट्रपति पुलिस पदक व पुलिस पदक से सम्मानित किया। राज्यपाल डाॅ. के.के.पाल व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा प्रकाशित पत्रिका का भी विमोचन किया। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य स्थापना दिवस की बधाई देते हुए सभी अधिकारियों-कर्मचारियों और आमजन से प्रदेश के विकास हेतु समर्पित होकर काम करने का आह्वान किया। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने परेड में प्रतिभाग करने वाले प्रत्येक कर्मी हेतु रू.1000 तथा महिला आरक्षियों के पाइप बैण्ड की प्रत्येक प्रतिभागी हेतु रू.5000 की प्रोत्साहन राशि की घोषणा भी की।
इस अवसर पर राज्यपाल डाॅ.कृष्ण कांत पाल ने राज्य निर्माण के सभी ज्ञात-अज्ञात, अमर शहीदों व आंदोलनकारियों को श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए राज्यवासियों को राज्य स्थापना के 17 वर्ष पूर्ण होने पर बधाई और शुभकामनाएं दीं। राज्य स्थापना दिवस पर शानदार परेड़ के लिए बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि शांति व कानून व्यवस्था, प्रत्येक सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होती है। प्रदेश का विकास मूलरूप से वहां की कानून व्यवस्था पर निर्भर करता है। इसमें पुलिस की अहम भूमिका होती है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भविष्य में भी राज्य की कानून व शान्ति व्यवस्था को बनाये रखने के अपने वायदे को निभाते हुए पुलिस, राज्य के समग्र विकास में सबसे मजबूत कड़ी के रूप में भी अपनी भूमिका निभाती रहेगी। उत्तराखंड में दूसरे राज्यों की तुलना में अपराध बहुत कम हैं। इसके लिए राज्य के शांतिप्रिय व सरल हृद्य नागरिक बधाई के पात्र हैं।
राज्यपाल ने कहा कि विगत 17 वर्षों में उत्तराखंड ने अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। बार-बार प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद उत्तराखंड वासियों की दृढ़ संकल्प शक्ति से राज्य ने अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। आज उत्तराखंड देश के अग्रणी राज्यों में शुमार हो चुका है। इन वर्षों में हमने कई उपलब्धियां हासिल की हैं, तो बहुत सी चुनौतियां भी हैं। जीडीपी व प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि का लाभ गरीबों, वंचितों, किसानों तक पहुंचाना है। सच्चे मायनों में विकास के लिए शहर-गांव, उद्योग-खेती के बीच के गैप को दूर करना होगा। इस दिशा में सरकार ने अनेक महत्वपूर्ण पहलें की हैं। पहाड़ के गांवों को आर्थिक दृष्टि से उन्नत बनाने के लिए समर्पित प्रयासों की आवश्यकता है।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नए भारत के निर्माण के लिए मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजीटल इंडिया, स्वच्छ भारत व नमामि गंगा के माध्यम से जन-अभियान प्रारम्भ किया है। खुशी की बात है कि नए प्रगतिशील भारत में उत्तराखंड बढ़-चढ़कर अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभा रहा है। वर्ष 2019 तक पूर्ण साक्षरता, वर्ष 2022 तक सबको आवास व किसानों की आय दुगुनी करने का लक्ष्य पूरा करने में, उत्तराखंड अग्रणी राज्यों में रहेगा। डिजीटल उत्तराखंड के तहत ई-गर्वनेंस के लिए देवभूमि जनसेवा व ई-डिस्ट्रिक्ट सेवाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली का भी पूर्ण कम्प्यूटरीकरण किया जा रहा है। सभी पी.डी.एस. की दुकानों पर कैश लैस भुगतान के लिए पी.ओ.एस. मशीन स्थापित की जा रही हैं।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड की पहचान देश-दुनिया में देवभूमि के रूप में है। हमें इस पहचान को बनाए रखना है। महत्वाकांक्षी नमामि गंगे अभियान की सफलता उत्तराखंड की सक्रिय भूमिका के बिना सोची भी नहीं जा सकती है। राज्य में स्वच्छता अभियान की पहल को भारत सरकार द्वारा बेस्ट प्रेक्टीसेज का दर्जा दिया गया है। राज्य सरकार ने मार्च 2018 तक सभी नगर क्षेत्रों को भी ओ.डी.एफ. बनाने का लक्ष्य रखा है। हम सभी को सभ्य नागरिक की जिम्मेवारी को समझते हुए इसमें भागीदारी निभानी होगी।
राज्यपाल ने कहा कि राज्य में हमारे सामने बड़ी चुनौती, दुर्गम व दूर-दराज के इलाकों में बुनियादी सुविधाओं का विकास करना है। इसके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य व पर्वतीय खेती पर फोकस करना होगा। राज्य सरकार गम्भीरता से इस दिशा में काम कर रही है। पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन को रोकने के लिए ग्रामीण विकास व पलायन आयोग का गठन करते हुए इसका मुख्यालय पौड़ी में स्थापित किया गया है। नीतिगत निर्णय लेते हुए मैदानी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में डाॅक्टर पर्वतीय क्षेत्रों में नियुक्त किए गए हैं। किफायती दाम पर दवा उपलब्घ करवाने के लिए 100 जन औषधि केंद्र खोले जा रहे हैं। टेली-मेडिसिन व टेली-रेडियोलाॅजी का प्रयास किया जा रहा है। नए चिकित्सकों की नियुक्ति करने के लिए भी हर सम्भव कोशिश की जा रही है। शिशु तथा मातृत्व मृत्युदर को न्यूनतम करने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
राज्यपाल ने कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी हो, जो छात्रों को प्रेक्टीकल नोलेज दे और उनमें स्किल डेवलपमेंट करे। विश्वविद्यालयों में ज्ञान के सृजन के लिए उच्च स्तरीय व मौलिक रिसर्च को प्रोत्साहित करना होगा। हमें विशेष प्रयास करना होगा ताकि हमारे शिक्षण संस्थान, क्वालिटी एजुकेशन व स्पोर्ट्स के सेंटर बन सकें। परंतु सबसे पहले स्कूली स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए अत्यधिक प्रयास की आवश्यकता है। अगर स्कूल में बुनियाद पक्की बन रही है तो बच्चे आगे भी कामयाब रहेंगे।