उत्तरकाशी: देवभूमि में अतिथि देवता का स्वरूप होता है। उत्तरकाशी के ज़िलाधिकारी रहते समय आशीष चौहान ने एक भटके हुए स्पैनिश पर्वतारोही की मदद की। चौहान ने यह मदद किसी भी अधिकारी या यूँ कहे आम नागरिक की तरह की लेकिन, क़रीब ढाई साल पहले की गई इस मदद का नतीजा ऐसा रहेगा इसकी उम्मीद आशीष चौहान ने शायद ही की हो।
क़रीब चालीस साल के जुआन एंटोनियो पादिला, एक स्पैनिश पर्वतारोही हैं और 2018 में भारत आये थे। उन्होंने उत्तराखंड में सतोपंथ पर्वत पर पर्वतारोहण करने का मन बनाया लेकिन, वहाँ से वापसी करते समय रास्ता भटक गये और खो गये। इस घटना के बाद जिला प्रशासन की समय पर खोज अभियान के चलते ऐंटोनियो को सकुशल बचाया जा सका।
अब बात करते हैं 15 अगस्त 2020 की। ऐंटोनियो और उनके पार्टनर डेविड रेसीनो, स्पेन के ग्रेडोस इलाक़े के पश्चिमी छोर के ऐसे इलाक़े में पर्वातरोहण कर रहे हैं जहां ज़्यादा लोग अभी तक नहीं गये हैं। नये इलाक़ों को देखना और उनका नामकरण करना किसी भी पर्वतारोही के लिये सपने के जैसा होता है। यह पहाड़ी इलाक़ा अलमंजूर के पश्चिमी छोर पर है और काफ़ी हद तक दुनिया की नज़रों से छुपा हुआ है। स्पेन में इस इलाक़े की पहाड़ियाँ अपनी खड़ी चढ़ाइयों के लिये जानी जाती हैं।
कमजोर इंटरनेट के ज़रिये बात करते हुए ऐंटिनयो ने हमें कहा कि, “मैंने भारत की याद में और आशीष चौहान द्वारा की गई मेरी मदद के सम्मान में, यहाँ कि एक चोटी का नाम “मेजिस्ट्रेट्स प्वाइंट” और एक दर्रे का नाम “वाया आशीष” रखा है। इन लोगों की मदद के कारण ही मैं सकुशल वापस आ सका और अपने बेटे से मिल सका। मेरे मन पर यह एक अमिट छाप छोड़ गया है।”
सोशल मीडिया पर इस पहाड़ी की तस्वीरें और जानकारी साझा करते हुए आशीष चौहान काफ़ी उत्साहित और खुश लगे। उन्होंने कहा कि, “मैंने केवल वही किया जो करने के लिये मुझे प्रशिक्षित किया गया है।”
इस तरह की कहानियाँ दिल को छू जाती हैं। यह वसुद्धैव कुटुम्बकम के सिद्धांत को भी सही साबित करती हैं। स्पेन से इस कहानी के लिये वहाँ के लोगों का धन्यवाद।