हरिद्वार, देश और दुनिया की विश्वविद्यालय की इमारत, शिक्षण संस्थानों, सरकारी ईमारत, साधना स्थल, औद्योगिक भवन का निर्माण और सड़कों के निर्माण में वैदिक वास्तु शास्त्र के आधार बनाने की योजना को लेकर एक वृृहद शोध परियोजना गुरुकुल कांगड़ी विवि का वैदिक शोध संस्थान तैयारी कर रहा है। संस्थान के विभागाध्यक्ष डा. सत्यदेव निगमालंकार ने बताया कि वेदों में वास्तु शास्त्र के बारे में बहुत मंत्र और वैदिक ज्ञान का अंकन है। वैदिक वास्तु शास्त्र को लेकर संस्थान में डा अमल चन्द्र राय ने शोध कार्य भी किया है।
निगमालंकार ने मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों पर गुम्बदनुमा निर्माण होने के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि वेदों में अंकन है गुम्बदों से ओमकार की ध्वनि प्रस्फुटित होती है और जो साधक मंदिर में बैठकर ओम का उच्चारण करता है उसको सहस्रगुना सकारात्मक ऊर्जा मिलती है तथा नकारात्मक ऊर्जा उसके जीवन से समाप्त हो जाती है।
इसके साथ ही संस्थान द्वारा वैदिक वास्तु शास्त्र को एक प्रोजेक्ट का मसौदा तैयार किया जा रहा है और जल्दी ही उसको मानव संसाधन विकास मंत्रालय भेजा जाएगा। भारत में यह वही संस्थान है जहां पर पहली बार वैदिक परंपरा का कुरान पर प्रभाव विषय पर शोध कार्य हुआ है।
सत्यदेव निगमालंकार राष्ट्रीय फलक पर वेदों को लेकर ऐतिहासिक कार्य कर रहे हैं और अपने निर्देशन में अठाईस पीएचडी करा चुके है। उन्होंने 87 पुस्तकें वेद और रामायण पर प्रकाशित हो चुकी हैं। निगमालंकार ने बताया कि वैदिक शोध संस्थान में शान्तिमापन यन्त्र की स्थापना की गयी है। इस यन्त्र से यह पता लगाया जा सकता है जिन लोगों को जीवन में शांति नहीं मिलती है या उनकी शांति भंग हो गयी है। इन सबकों लेकर संस्थान ग्रास लेबर पर काम शुरू करने जा रहा है। वेद को जन-जन तक तक पहुंचाने के लिए विश्वविद्यालय में स्वामी दयानंद सरस्वती के वेद भाष्यों की पहल शुरू कर दी गयी है।