हंसदेवाचार्य महाराज के निधन से संत समाज में शोक की लहर

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हरिद्वार। जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज का शुक्रवार की सुबह सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। वे करीब 55 वर्ष के थे। प्रयागराज से हरिद्वार जाते समय उन्नाव में स्वामी हंसदेवाचार्य की गाड़ी हादसे का शिकार हो गई। उन्हें घायल अवस्था में पीजीआई ले जाया गया जिसके बाद वहां उनका निधन हो गया।स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज के निधन का समाचार सुनते ही संत जगत में शोक की लहर दौड़ गई। पोस्टमार्टम के बाद शुक्रवार देर रात तक उनकी पार्थिव देह की हरिद्वार पहुंचने की संभावना हैै।
जगद्गुरु रामानंदाचार्य हंसदेवाचार्य मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले के दुजाना गांव के निवासी थे। उन्होंने 14 वर्ष की आयु में घर संसार छोड़ कर वैराग्य धारण कर लिया था और अपने गुरु जगन्नाथ महाराज के पास ऋषिकेश मनीराम जगन्नाथ आश्रम में चले आए थे। उन्होंने पूरे भारत में संत समाज की एकता पर भी काम किया और करीब 127 धार्मिक संप्रदाय को एक मंच पर लेकर आए और अखिल भारतीय संत समिति का संचालन किया।
अखिल भारतीय संत समिति के संरक्षक व अध्यक्ष जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज करीब दो माह से प्रयागराज कुंभ में थे, जहां उन्होंने अनेक सेवा के प्रकल्पों को किया। जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज ने बचपन से घर का त्याग कर स्वामी जगन्नाथ महाराज की शरण ली और उन्हीं की सेवा में रहते हुए शिक्षा ग्रहण की और बाद में उन्हीं के शिष्य बनकर समाज व राष्ट्र सेवा में जीवन को समर्पित कर दिया। राम मंदिर निर्माण में भी उन्होंने अपनी महती भूमिका का निर्वहन किया। उनके अचानक निधन से संत समाज हतप्रभ है।
संतों ने उनके अचानक अवसान को दुःखद और सनातन धर्म की बड़ी हानि बताते हुए उनकी आत्मशांति की प्रभु से कामना की। बाबा बलराम दास हठयोगी ने उनके निधन पर दुःख व्यक्त करते हुए उनके निधन को संत समाज के लिए अपूर्णीय क्षति बताया। उनके निधन का समाचार सुनते ही उनके आश्रम में संतों, अनुयायियों व उनके चाहने वालों का तांता लगना आरम्भ हो गया। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को प्रातः 11 बजे खड़खड़ी शमशान घाट पर किया जाएगा।