हरिद्वार पंचायत चुनाव को लेकर असमंजस और गहरा गया है। कोरोना संकट के लिहाज से रेड जोन में फंसे हरिद्वार जिले में परिसीमन का काम अभी शुरू ही नहीं हो पाया है। इसके लिए दो बार की तय समय सीमा खत्म हो चुकी है। जिले के पंचायत चुनाव इस साल के आखिर में होने हैं लेकिन कोरोना संकट की वजह से तैयारी काफी पिछड़ गई है। ऐसे में चुनाव समय पर होंगे या नहीं, कोई भी बताने की स्थिति में नहीं है।
– कोरोना संकट के चलते शुरू ही नहीं हो पाई परिसीमन प्रक्रिया
– रेड जोन में शामिल हरिद्वार में साल के आखिर में होने हैं चुनाव
उत्तराखंड राज्य बनने से पहले से यह व्यवस्था रही है कि हरिद्वार के पंचायत चुनाव शेष 12 जिलों के साथ नहीं होते। दरअसल, उत्तराखंड आंदोलन के कारण अविभाजित उत्तर प्रदेश में पहाड़ के 12 जिलों के पंचायत चुनाव नहीं कराए जा सके थे। हरिद्वार जिले के चुनाव उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों के साथ करा दिए गए थे। तब से लेकर अब तक हरिद्वार और शेष 12 जिलों के चुनाव अलग-अलग ही हो रहे हैं। हरिद्वार जिले की पंचायतों का कार्यकाल यूं तो 29 मार्च, 2021 को पूरा हो रहा है लेकिन महाकुंभ को देखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग इस साल के आखिर में चुनाव कराने का इच्छुक है। ठीक इसी तरह की स्थिति में 2009 में भी हरिद्वार जिले के पंचायत चुनाव कराए गए थे।
हरिद्वार जिले में 308 ग्राम प्रधानों के अलावा कुल दस हजार से ज्यादा पदों पर चुनाव होने हैं। यह संख्या काफी ज्यादा है। राज्य निर्वाचन आयोग ने पूर्व में पंचायतों का परिसीमन 31 मार्च तक करा लेने के लिए सरकार से कहा थ, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। फिर यह समयसीमा 30 अप्रैल रखी गई लेकिन कोरोना संकट की भयावहता के कारण इस पर कोई प्रगति नहीं हो पाई है। पंचायतों के परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद पदों का आरक्षण, वोटर लिस्ट तैयार करना, उसमें संशोधन और अनंतिम वोटर लिस्ट जारी करने की प्रक्रिया शेष रहेंगी। जाहिर तौर पर इसके लिए काफी वक्त चाहिए। हरिद्वार पंचायत चुनाव के संबंध में शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि सरकार की प्राथमिकता में इस वक्त सिर्फ कोरोना संकट का मुकाबला करना है। स्थिति सामान्य होने पर चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ पाएगी।