उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने के राज्य सरकार के निर्णय पर आपत्ति जताई है। उन्हाेंने कहा कि इससे संविधान के निष्पक्षता का सिद्धांत टूट जाएगा। हालांकि उन्हाेंने आरएसएस काे राष्ट्रवादी और राष्ट्र हितैषी संस्था बताया है।
शनिवार को मीडिया से बातचीत में हरीश रावत ने कहा कि आरएसएस की राष्ट्र भक्ति पर कोई शक नहीं है, लेकिन आरएसएस की शाखाओं में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने के सरकार के निर्णय से जो हमारा बेसिक इंस्ट्रक्चर है और जिस बेसिक इंस्ट्रक्चर के ध्वजवाहक के रूप में डेमोक्रेसी है वो खत्म हो जाएगी। इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
हाल ही में केंद्र सरकार ने आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था। हरियाणा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न राज्य सरकारें सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस से जुड़े होने पर प्रतिबंध को पहले ही हटा चुकी हैं। दो दिन पहले उत्तराखंड सरकार ने भी प्रतिबंध हटा दिया है।