जो लोग जादू नहीं जानते और जिसने हैरी पॉर्टर फिल्म देखी है उन्हें शायद पता होगा कि क्विडिच्च हैरी पॉर्टर की जादूगर दुनिया का सबसे पसंदीदा खेल है।लेकिन क्या आप जानते हैं कि गढ़वाल के दूरस्थ गांव कलाप के बच्चों ने क्विडिच्च खेला है वो भी झाड़ू,क्वेफल,स्निच आदि के साथ।
27 साल के अंशू अग्रवाल फ्रील़ांसर फोटोग्राफर होने के साथ फिल्म हैरी पोर्टर के बड़े फैन हैं, एक फोटोग्राफर,एजुकेशनल ट्रेनर होने के साथ-साथ ट्रेवेलर भी हैं जो इस वक्त दिल्ली के ब्रिटिश काउंसिल में लैंग्वेज ट्रेनर हैं। लेकिन लगभग डेढ़ साल पहले उत्तराखंड के टोस वैली में स्थित कलाप गांव में अंशू मे वहा के बच्चों को एक एनजीओ के अंर्तगत पढ़ाया था। देहरादून से 200 किमी दूर कलाप के बच्चों को बहुत ही क्रिएटिव अंदाज़ में पढ़ाया व is दौरान अंशू ने अपने स्टूडेंट के साथ एक क्विडिच्च फोटो शूट भी किया ।यह फोटोशूट अपने आप में इतना नायाब हैं कि इसको देखने वाले को लगेगा यह किसी जादूई नगरी की फोटो हैं।हालांकि अंशू वेस्ट बंगाल के बाशिंदे हैं और उन्होंने अपना ज्यादा समय हैदराबाद में बिताया है।
इस फोटोशूट के बारे में न्यूजपोस्ट से बात करते हुए अंशू ने बताया कि ”इस बात को लगभग 2 साल हो गए हैं,मैं रविवार को बच्चों को इंग्लिश की क्लास दे रहा था और एक एक्टिविटी में मैने उन्हें हैरी पार्टर फिल्म दिखाई और इस फिल्म को देखकर बच्चें बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने मुझसे खुद जादूगर बनने की बात कही।बस तब मैने सोचा कि एक कोशिश की जा सकती हैं।”
अंशू ने कहा कि ”इन फोटो में लेविटेशनल फोटोग्राफी की गई है।आपको बतादें कि लेविटेशनल फोटोग्राफी का मतलब होता है कि कैमरे से ली गई फोटो में लेयर मास्किंग यानि की फोटोशॉप में लेयरिंग करना।इसमे पहले तस्वीर को अकेले बिनी किसी प्रॉप के कैप्चर किया जाता है फिर बाद में फोटोशॉप के माध्यम से उसमें अलग-अलग तरह के प्रॉप लगाए जाते हैं और फोटो में कैप्चर किए लोग हवा में उड़ए जा सकते हैं।
अंशू ने बताया कि ”लेविटेशनल फोटोग्राफी पर पहले भी काम करने की वजह से मैंने सोचा कि क्यों ना इन बच्चो की कल्पना को सच्चाई में बदला जाए।इसके लिए बच्चों ने बहुत तैयारी की और उनका जोश देखने लायक था। इसके लिए बच्चों ने एक मजबूत 1 मीटर ऊंची लकड़ी की बेंच बनाई हैरी पार्टर में दिखाई गई ब्रूमस्टीक जैसे दिखने वाले ब्रूम की व्यवस्था की और वालीबॉल की व्यवस्था की।”
अंशू ने बताया कि ”इस फोटोशूट को करने में लगभग दो महीने का समय लगा और यह गांव के बच्चों के जोश और उत्साह की वजह से पूरा हो पाया।अंशू ने कहा कि बच्चों का इतना उत्साहित होना इस फोटोशूट की हर फोटो में दिखता है।हमने अलग-अलग लोकेशन पर जाकर शूट किया और फिर बाद में इन फोटो को फोटोशॉप में एडिट किया गया और जब यह फोटो बनकर तैयार हुई तो बच्चों का रिएक्शन देखने लायक था।अपने आप को हवा में उड़ता देख बच्चों की आंखे खुली की खुली रह गई और मेरी और बच्चों की मेहनत रंग लाई।”
अंशू अपना अनुभव बताते हुए कहते हैं कि मुझे आज भी याद है जब मैने यह फोटो गांववालों और बच्चों को दिखाई वह खुशी के मारे चिल्लाने लगे और मैं भी खुश था क्योंकि मुझे पता था कि मैने पहले से जादुई गांव में थोड़ा जादू तो दिखाया है।
इस सीरिज़ की पूरी फोटो आप यहां देख सकते हैंः