उत्तराखंड आपदा : ओखलकांडा का पूरा थलाड़ी गांव खतरे की जद में

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    नैनीताल

    नैनीताल के ओखलकांडा के थलाड़ी गांव में दैवीय आपदा से ऐसा कहर टूटा है, जिसकी किसी ने सपने में भी कल्पना नहीं की थी। आपदा से पूरा गांव खतरे की जद में आ गया है। यहां एक ही परिवार के छह लोग घर के मुखिया की आंखों के सामने मलबे में जिंदा दफन हो गए, लेकिन एनडीआरएफ के 20 सदस्यीय दल की बीते तीन दिनों से चल रही कोशिशों के बावजूद घटना के पांच दिन बीतने के बाद भी केवल दो शवों को ही बरामद किया जा सका है। गांव में बिजली, पानी, सड़क व स्वास्थ्य सेवाओं की हालत भी बद से बदतर हो चुकी है। इसे दुरुस्त करने में काफी समय लगने की संभावना है।

    पहाड़पानी से तल्लीदीनी होते हुए आठ किलोमीटर पैदल चलकर ग्राउंड जीरो पर पहुंचे और वहां के लोगों से बात की तो उनकी कहानी सुनने पर मन सिंहर उठा। लोगों ने बताया कि बीते 18 अक्टूबर की रात करीब नौ बजे यहां के हरेंद्र सिंह का परिवार जब सोया था तभी कुदरत का कहर बरप पड़ा और परिवार के 6 लोग मलबे में जिंदा दफन हो गए। हरेंद्र को खुद नहीं पता कि वह कैसे पानी के थपेड़ों से उस ओर पटक दिया गया, जहां अधिक पानी नहीं था, इसलिए वह बच गया। अब यहां एनडीआरएफ शवों की खोज में जुटी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हवाई सर्वेक्षण कर गए हैं। क्षेत्रीय विधायक राम सिंह कैड़ा दो दिन यहां जुटे रहे, फिर भी घटना के पांच दिन बाद भी जिले की सबसे बड़ी घटना के इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थल पर शासन के स्तर से अभी तक बड़ी फलदायी कार्यवाही नजर नहीं आ रही है

    तिमंजिला मकान में रहते थे पांच परिवार

    थलाडी गांव में जिस मकान में आपदा का कहर बरपा है। वह मकान तिमंजिला था। उस मकान में बांयी ओर के खंड में हरेंद्र सिंह पुत्र दीवान सिंह एवं अन्य खंडों में उनके 4 अन्य भाइयों के परिवार रहते थे। बताया गया है कि घटना के समय हरेंद्र घर के बाहर फोन पर बात कर रहे थे, जबकि घर के अन्य सदस्य सो गए थे। तभी अचानक पहाड़ की ओर से मलबा आ गया और उसका पूरा परिवार मलबे की चपेट में आ गया। घर के ही दूसरे हिस्से में रहने वाले प्रह्लाद सिंह की वृद्ध माता सरस्वती देवी घायल हुई हैं। उनका इलाज चल रहा है। आज उन्हें उपचार के लिए ले जाया गया है।

    वहीं हरेंद्र के भाई राजेंद्र सिंह, घर के दूसरे हिस्से में रहने वाले अन्य भाई किशन सिंह व बच्ची सिंह के परिवार के छह सदस्य तथा भीम सिंह के परिवार के चार सदस्य भी सुरक्षित हैं। अलबत्ता भीम सिंह घटना में घायल हैं। पास के एक अन्य घर में रहने वाली 21 वर्षीय राधा पुत्री पान सिंह मलबे की आवाज सुन ऊंचाई से कूद गई। इस कारण उसका पांव फ्रैक्चर हो गया है। शुक्रवार को ग्रामीण युवाओं की मदद से उसे 10 किमी तक कुर्सी की डोली बनाकर तल्लीदीनी होते हुए पहाड़पानी सड़क तक पहुंचाया गया। बताया गया है कि 23 नवम्बर को उसकी भीमताल से शादी होनी है।

    जीवन में कभी नहीं देखी ऐसी बारिश

    थलाड़ी गांव के बड़े बुजुर्गों ने बताया कि ऐसी भयानक बारिश कभी उनकी जिंदगी में नहीं हुई। जहां से मलबा व बोल्डर आया, उसके पास के खेत सारे बंजर थे। वहीं एक खेत में बच्चे क्रिकेट खेलते थे। उनका कहना है कि बादल फटने से यह घटना घटी।

    घटना से घबराए ग्रामीण घटना के 5 दिन बीत जाने के बाद भी सहमे हुए हैं। बता नहीं पा रहे हैं कि कैसे उन्होंने उस नाले और बोल्डरों का रौद्र रूप देखा और कुछ नहीं कर पाए।

    पुनर्वास करे सरकार

    थलाड़ी के ग्राम प्रधान गणेश सिंह ठठोला ने बताया कि पूरा गांव तहस-नहस हो गया है। इस घटना से गांव में 60 फीसदी से भी अधिक मकानों को खतरा पैदा हो गया है। लिहाजा उन्होंने तत्काल सर्वे करा कर उन्हें पुनर्वासित व विस्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी, स्थानीय विधायक और एसडीम को पत्र लिखा है। उन्होंने बताया कि ऐसे मंजर में यहां रहना मुश्किल हो गया है।

    गांव के प्रताप सिंह ने बताया कि इस घटना से वह अंदर से टूट गए हैं। उन्होंने कहा कि जैसी घटना हरेंद्र के परिवार के साथ घटी है, वैसी किसी दुश्मन के साथ भी ना हो। गांव के चंदन सिंह ने कहा कि पूरे गांव का सर्वे कराकर तत्काल शासन और प्रशासन इस पर कार्रवाई करे। 6 दिन से यहां बिजली, पानी, सड़क व स्वास्थ्य आदि सभी सुविधाओं का अभाव चल रहा है। इसे दुरुस्त करने की आवश्यकता है।

    उपजिलाधिकारी के नेतृत्व में चल रहा है रेस्क्यू

    उप जिलाधिकारी धारी योगेश सिंह मेहरा के नेतृत्व में थलाड़ी गांव में रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया जा रहा है। पिछले 18 अक्टूबर से उप जिलाधिकारी एसडीआरएफ की टीम के साथ लगातार मौके पर ही डटे हुए हैं। वह सुबह से ही जवानों को गाइड करते हुए नजर आए। उन्होंने बताया कि स्थानीय प्रशासन द्वारा जो भी मानकों के अनुरूप पीड़ित परिवार की मदद की जानी है उसे जल्दी ही पूरा किया जाएगा। उन्होंने पीड़ित परिवार के मुखिया हरेंद्र सिंह को ढांढस बंधाते हुए कहा कि जो भी उनके स्तर से बन पड़ेगा उसके लिए वह हमेशा तैयार रहेंगे।

    ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से बात करते हुए उप जिलाधिकारी ने बताया कि एनडीआरएफ की पूरी टीम दिन-रात एक करके रेस्क्यू का कार्य कर रही है पर अभी तक केवल दो शव ही बरामद हो पाए हैं। उनकी अंत्येष्टि भी कर दी गई है। अभी चार शव और बरामद किए जाने हैं। उम्मीद जताई कि शुक्रवार की देर शाम तक सभी शव बरामद कर लिए जाएंगे। गांव में ही शवों का चिकित्सकों से पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। विस्थापन को लेकर उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी को इस मामले में पत्र लिखा जाएगा।

    टीम में यह लोग हैं मौजूद

    थलाड़ी गांव में उप जिलाधिकारी योगेश सिंह मेहरा, तहसीलदार तान्या रजवार, कानूनगो नरेश वर्मा, उपनिरीक्षक हेम चंद्र जोशी, प्रकाश सैनी, महिला उपनिरीक्षक चंदा नाथ ने पिछले 4 दिन से थलाड़ी गांव में डेरा डाला है। वहीं खाद्य रसद के लिए तहसील प्रशासन लगातार कार्यरत है जिससे वहां रह रहे एनडीआरएफ और राजस्व विभाग को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। यहां पर स्थानीय युवा भी हर तरह से सहयोग में जुटे हुए हैं।

    बड़े बोल्डरों से आ रही है रेस्क्यू अभियान में दिक्कत

    थलाड़ी में भारी भरकम बोल्डरों के गिरने से बचाव कार्य में बाधा आ रही है। गांव में बिजली नहीं है, इसलिए इन विशाल बोल्डरों को घन, छेनी, सबल से जवानों द्वारा तोड़ा जा रहा है। इस कारण बचाव कार्यों में अधिक समय नष्ट हो रहा है।