नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के मामले पर सुनवाई टाल दी है। कोर्ट अब इस मामले पर 4 जुलाई को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट बीसीसीआई को पहले ही आदेश दे चुका है कि वो लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के आधार पर संविधान बनाएं। संविधान को अंतिम रुप देने के बाद ही बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट संघों के चुनाव हो सकेंगे।
पिछले 1 मई को सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के वन स्टेट वन वोट के सिद्धांत पर पुनर्विचार करने पर सहमति जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यों के उन सहयोगियों को नहीं छोड़ा जा सकता है जिन्होंने क्रिकेट के इतिहास में अपनी अच्छी भूमिका निभाई। कोर्ट ने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को इस साल सितंबर से रणजी टुर्नामेंट समेत सभी फॉर्म के क्रिकेट खेलने की इजाजत दे दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम को निर्देश दिया था कि वे राज्य संघों से बात कर बीसीसीआई के संविधान पर सुझाव मांगकर सुप्रीम कोर्ट में सौंपेंगे।। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब तक वो बीसीसीआई का संविधान नहीं बना लेती है तब तक राज्य क्रिकेट संघ अपना चुनाव नहीं कराएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने ये संकेत दिया था कि बीसीसीआई का संविधान बनाते समय वो सेलेक्टर्स की संख्या तीन तक सीमित नहीं करने पर विचार करेगा ।
कोर्ट ने बीसीसीआई को निर्देश दिया था कि वे प्रशासकों के समूह को नए संविधान के लिए अपना सुझाव दें। कोर्ट ने प्रशासकों की कमेटी को निर्देश दिया था कि लोढ़ा कमेटी की अनुशंसाओं को समाहित करते हुए बीसीसीआई का नया संविधान तैयार करें।
सुप्रीम कोर्ट को सौंपे अपने स्टेटस रिपोर्ट में प्रशासकों की कमेटी ने मांग की थी कि सभी राज्य संघों का सुप्रीम कोर्ट के तीन रिटायर्ड जजों से ऑडिट कराया जाए।
अपने स्टेटस रिपोर्ट में कमेटी ने कहा था कि राज्य संघों को लोढ़ा पैनल के सुधार करने की नीयत नहीं है। कमेटी ने कहा था कि 26 जुलाई को हुए बोर्ड के एसजीएम में जाने से राहुल जौहरी को रोका गया जहां सुधारों को लागू करने पर फैसला होनेवाला था।