कहर बनकर बरसी बरखा, सब कुछ हो गया तबाह

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मालधन में आई बाढ़ ने ग्रामीणों को कभी न भूलने वाला जख्म दे दिया है। रात-दिन तिनका-तिनका जोड़कर किसी तरह आशियाना बनाकर जरुरत का सामान जुटाया, लेकिन बाढ़ की उफनाई लहरों ने पल भर में सब कुछ तबाह कर दिया। अब ग्रामीण खुले आसमान के नीचे भूखे-प्यासे रहकर जीवन यापन करने को मजबूर हैं। साथ ही आसमां में घिर रही काली घटाएं देखकर डर से सहमे हैं।

मालधन में बाढ़ ने सबसे ज्यादा रमेश चंद्र, श्यामवती, मोहनवती, राम अवतार, महेंद्र सिंह के घर को नुकसान पहुंचाया। बाढ़ का पानी घर में भरने से अनाज, बर्तन, बिस्तर, टीवी, फ्रिज व अन्य सामान खराब हो गया। प्रभावित परिवारों ने शुक्रवार को पॉलीथिन डालकर खुले आसमां के नीचे दिन गुजारा। खाने-पीने की व्यवस्था नहीं होने की वजह से पड़ोस के लोगों ने प्रभावित परिवारों को भोजन कराया। अब उन्हें रात की चिंता सता रही है। रमेश चंद्र परिवार के आठ सदस्यों को लेकर प्लास्टिक की पन्नी डालकर रह रहे हैं। जो सामान बचा पाए उसे टै्रक्टर ट्रॉली के नीचे रखा हुआ है। प्रभावित परिवारों का कहना है कि जो राहत राशि दी गई, उससे ढंग से परिवार के सदस्यों के लिए पॉलीथिन भी नहीं खरीदी जा सकेगी। ऐसे में समझ नहीं आ रहा है कि अब आगे जीवन बसर किस तरह हो पाएगा। उन्होंने प्रशासन से उनके रहने के लिए व्यवस्था किए जाने की मांग की है।