उत्तराखंड में मुसीबतों के पंख लगाकर आई हैली सर्विस

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उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के लिये हेलीकाॅप्टर सेवाऐं एक बार फिर विवादों में आ गई हैं। डीजीसीए ने राज्य के नागरिक उड्डयन विभाग से राज्य के ज्यादातर हैलीपैडों की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा करते हुए एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है। डीजीसीए ने इस रिपोर्ट के आने तक चारधाम में मौजूद हैलीपैडों के साथ सहस्त्रधारा हैली पैड से उड़ानों पर रोक लगा दी थी। हांलाकि राज्य सरकार और उड्डयन विभाग से बातचीत के बाद ये रोक 16 जून तक हटा दी गई है। इस दौरान उड्डयन विभाग को अपनी रिपोर्ट डीजीसीए को सौंपनी है। गौरतलब है कि शनिवार सुबह बद्रीनाथ में टेकआॅफ करते समय हेलीकाॅप्टर अनियंत्रित हो गया जिसके चलते पंखे की चमेट में आने से एक इंजीनियर की मौत हो गई।

इस मामले में उत्तराखण्ड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण के इंजीनियर इन चीफ सितैया ने बताया कि “महानिदेशक नागर विमानन, भारत सरकार के द्वारा चारधाम यात्रा के लिये प्रयोग में लिये जा रहे हेलीपैडों पर सुरक्षित परिचालन के लिए सुझाव दिए गए थे। इन सुझावों को 31 मई 2017 तक लागू करना था। और इसके बाद एक्नश टेकन रिपोर्ट भी देनी थी। जिसके लिये 16 जून तक का समय दिया गया है। इसके चलते राज्य के अंतर्गत समस्त हेलीपैडों से सामान्य रूप से हेलीसेवा जारी है।”

उत्तराखंड में हेलीकाॅप्टर सर्विस शुरू की गई थी पर्यटकों और आम लोगों की सुविधा के लिये। लेकिन निज़ाम बदलते गये हैं पर हेली सर्विस किसी न किसी विवाद में ज़रूर घिरी रही है। हरीश रावत सरकार के दौरान सरकारी हेलीकाॅप्टरों का नाजायज इस्तेमाल हो या नई सरकार में हेली टिकटों की कालाबाज़ारी से लेकर अब हैलीपैडों की गुणवत्ता पर सवाल। इन सब हालातों को देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि राज्य में हेलीकाॅप्टर सुविधा के नहीं मुसीबतों के पंख लगा कर आया है।