देहरादून। अवशेष वेतन का भुगतान व अन्य लंबित मांगों का समाधान न होने से नाराज आपातकालीन सेवा 108 के फील्ड कर्मचारियों ने बुधवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। कर्मचारियों की हड़ताल के कारण प्रदेशभर में 108 एंबुलेंस व खुशियों की सवारी के पहिए थम गए। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ा। एंबुलेंस न मिल पाने के कारण मरीजों की जान सांसत में रही। जिस कारण संचालक कंपनी जीवीके ईएमआरआई के भी हाथ-पांव फूले रहे।
प्रदेश में 108 सेवा के अंतर्गत 139 एंबुलेंस और खुशियों की सवारी के 95 वाहन संचालित हो रहे हैं। बुधवार को फील्ड कर्मचारियों के हड़ताल पर रहने से अधिकांश वाहनों का संचालन नहीं हुआ। कंपनी प्रबंधन का दावा है कि 108 सेवा के अंतर्गत 22 एंबुलेंस और खुशियों की सवारी के 13 वाहन संचालित हुए हैं। 108 सेवा बंद होने से सबसे ज्यादा परेशानी दूरदराज के क्षेत्रों से आने वाले लोगों को उठानी पड़ रही है। उन्हें प्राइवेट वाहनों से अस्पताल पहुंचना पड़ा। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं और जच्चा-बच्चा को भी खासी मुश्किल उठानी पड़ी। न प्रसव के लिए अस्पताल जाने को एंबुलेंस मिली और न प्रसव उपरांत जच्चा-बच्चा को घर छोडऩे के लिए खुशियों की सवारी। बता दें, उत्तराखंड 108 एवं केकेएस फील्ड कर्मचारी संघ ने अक्तूबर और नवंबर माह का वेतन और छह माह से भत्ते समेत अन्य मांगों को लेकर दो जनवरी से प्रदेशभर में हड़ताल की चेतावनी दी थी। बीते सोमवार कंपनी ने दोनों माह का वेतन और विभिन्न भत्तों के भुगतान कर दिया था। पर प्रदेश अध्यक्ष नीरज कुमार शर्मा और प्रदेश सचिव विपिन चंद्र जमलोकी का कहना है पूर्व में कर्मचारियों ने अपनी जायज मांगों को लेकर आंदोलन किया था। कंपनी को इसकी पूर्व में सूचना भी दी गई थी। लेकिन कर्मचारियों का वेतन काट लिया गया। वहीं, अभी अन्य मांग भी पूरी नहीं की गई हैं। उन्होंने कहा कि कर्मचारी अवकाश के दिन ड्यूटी करता है तो श्रम कानून के तहत उसे ओवरटाइम का दोगुना भुगतान किया जाए। हर माह पांच तारीख तक वेतन व बिलों का भुगतान, मूल वेतन का निर्धारण श्रम कानून के तहत करने, किसी भी कर्मचारी का अनावश्यक स्थानांतरण न करने, अगस्त माह में काटे गए दो दिन के वेतन का अविलम्ब भुगतान और कर्मचारियों की समस्याओं के निराकरण के लिए कमेटी के गठन की मांग भी उन्होंने की।
हड़ताल के चलते स्वास्थ्य विभाग के ड्राइवर चलाएंगे 108
आपातकालीन सेवा 108 के फील्ड कर्मचारियों की हड़ताल के कारण आम आदमी को समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में अब सरकार व शासन ने वैकल्पिक इंतजाम करने शुरू कर दिए हैं।
यूपी-हिमाचल में संचालित 108 से भी मांगे ड्राइवर
बुधवार को संचालक कंपनी के स्टेट हेड मनीष टिंकू ने एनएचएम के मिशन निदेशक एवं अपर सचिव युगल किशोर पंत व स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. टीके पंत से मुलाकात कर उन्हें हर पहलू से अवगत कराया। जिस पर अब समस्त जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को 108 के संचालन के लिए तत्काल विभागीय चालक उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। इनकी मदद से 108 एंबुलेंस व खुशियों की सवारी का संचालन किया जाएगा। वहीं पड़ोसी राज्य उप्र व हिमाचल में संचालित 108 सेवा से भी मदद मांगी गई है। उनसे भी चालक उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है। कंपनी का दावा है कि गुरुवार तक अधिकांश वाहन संचालित होने लगेंगे। जबकि कर्मचारियों का दावा है कि संगठन की राष्ट्रीय इकाई का समर्थन उन्हें मिला है। लिहाजा यूपी व हिमाचल का कोई भी कर्मचारी ड्यूटी के लिए उत्तराखंड नहीं आने वाला है।
हड़ताली कर्मचारियों को नोटिस जारी
आपातकालीन सेवा 108 को आवश्यक सेवा में शामिल किया गया है। प्रदेश में एस्मा लागू है कंपनी पहले ही हड़ताली कर्मचारियों पर कार्रवाई की बात कह चुकी है। उस पर शासन भी आगाह कर चुका है कि नए टेंडर के बाद भी इस कर्मचारियों से काम नहीं लिया जाएगा। ऐसे में कंपनी ने सख्ती दिखाते हुए हड़ताली कर्मचारियों को नोटिस जारी कर तुरंत काम पर लौटने का अल्टीमेटम दिया है। ऐसा न करने पर उनपर बर्खास्तगी की तलवार लटक गई है। इसके अलावा संचालक कंपनी ने नई नियुक्ति की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। ड्राइवर, ईआरओ व ईएमटी के लिए विज्ञप्ति जारी की गई है। इच्छुक अभ्यर्थी गुरुवार को 108 मुख्यालय में साक्षात्कार के लिए पहुंच सकते हैं। मामले में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. टीसी पंत बताया कि सभी जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि 108 सेवा के संचालन के लिए आवश्यकतानुसार चालक उपलब्ध कराएं। जबकि यूपी-हिमाचल से भी मदद ली जा रही है। वहीं, 108 सेवा के स्टेट हेड मनीष टिंकू ने बताया कि 108 आवश्यक सेवाओं में शामिल है और एस्मा लागू है। हड़ताली कर्मचारियों को नोटिस भेज दिया है। वह तय अवधि में काम पर नहीं लौटे तो अब बर्खास्तगी की कार्रवाई की जाएगी। उत्तराखंड 108 एवं केकेएस फील्ड कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव विपिन जमलोकी ने कहा कि कर्मचारियों की कोई भी मांग ऐसी नहीं है जिसे पूरा न किया जा सके। हमें राष्ट्रीय इकाई का भी समर्थन प्राप्त है। ऐसे में यूपी-हिमाचल से कोई चालक यहां नहीं आएगा।