नई दिल्ली, नकदी संकट से जूझ रही जेट एयरवेज बंद होने के कगार पर है। देश में पिछले 21 वर्षों में देश में 12 विमान कंपनियां दिवालिया हो चुकी हैं। जिन विमानन कंपनियों ने दम तोड़ा है उनमें दो सरकारी विमानन कंपनियां इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया के संयुक्त उपक्रम वायुदूत बंद होने वाली पहली कंपनी थी, जिसकी शुरुआत 1981 में हुई थी। क्षेत्रीय स्तर पर फोकस करने वाली यह कंपनी 1987 में बंद हो गई।
इसके अलावा ईस्ट वेस्ट एयरलाइंस भारत की पहली कुछ प्राइवेट एयरलाइंस कंपनियों में शामिल है। इसने 1992 में विमान सेवा की शुरुआत की लेकिन 1995 में मैनेजिंग डायरेक्टर थाकियुद्दीन वाहिद की हत्या और वित्तीय दिक्कतों की वजह से 1996 में कंपनी का कारोबार ठप हो गया। चेन्नै बेस्ड एनईपीसी समूह ने इस एयरलाइंस की शुरुआत 1997 में की थी लेकिन बढ़ते घाटे और उधार की वजह से कंपनी 1997 में बंद हो गई । इसके बाद वर्ष 1991 में सहारा समूह ने इस क्षेत्र में कदम रखा था। 2007 में इसे जेट ने खरीद लिया।
इसके बाद वर्ष 2003 में लिकर किंग के नाम से मशहूर विजय माल्या ने किंगफिशर विमानन कंपनी की शुरुआत की। इसका लाइसेंस डीजीसीए ने फरवरी 2013 में निरस्त कर दिया था। इनके अलावा कई विमानन कंपनियां कर्ज के दबाव में वक्त काट रही हैं। इनमें देश की एयर इंडिया भी है। एयर इंडिया पर करीब 55 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। कंपनी 53 हजार करोड़ से अधिक के नुकसान में है। यह आंकड़े बेहद चौंकाने वाले लगते हैं।
मौजूदा समय में जेट एयरवेज भी नकदी के संकट से जूझ रही है। एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। वर्तमान में जेट एयरवेज के 79 विमान परिचालन से बाहर हो गए हैं। कंपनी के फिलहाल 9 विमान ही सेवा में हैं। इसने अपने सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रद्द कर दिया है । एक तरफ देश में हवाई यात्रियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है तो दूसरी तरफ घाटे की वजह से कई कंपनियां बंद भी हो चुकी हैं।
भारत में पिछले 21 वर्षों में बंद हुई विमानन कंपनियां
वायुदूत 1981-89, सहारा एयरलाइंस 1991-2007, ईस्ट-वेस्ट एयरलाइंस 1992-1996, एनईपी 1993-1997, दमानिया एयरवेज 1993-1997, मोदीलुफ्त 1993-1996, अर्चना एयरवेज 1993-2000, एयर दक्कन 2003-2007, एमडीएलआर 2007-2009, एयर पेगसस 2015-16, किंगफिशर 2003-2013, पेरामाउंट 2005-10 की सेवाएं पूरी तरह से बंद हो चुकी हैं।