तथ्यों को छुपाकर 2012 के बाद केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा पास राज्य के 164 प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। नैनीताल, हाईकोर्ट ने इन शिक्षकों की नियुक्तियों को चुनौती देती विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए शिक्षकों को नोटिस जारी किए हैं।
शिक्षा विभाग ने नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स एजुकेशन द्वारा 2012 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत शिक्षक बनने को टीईटी अनिवार्य कर दिया था। राज्य सरकार द्वारा 1200 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया था।
इन पदों के लिए बीएड व सीपीएड डिग्रीधारकों द्वारा भी आवेदन किया गया, जो टीईटी पास नहीं थे, उन्हें भी नियम विरुद्ध तरीके से नियुक्ति दे दी। इसी बीच मामला हाई कोर्ट में पहुंचा तो एकलपीठ ने सरकार से ऐसे अभ्यर्थियों की सूची मांगी थी, जिनके द्वारा 2012 के बाद सी-टेट पास किया गया था। एकलपीठ ने सरकार से इन शिक्षकों की पात्रता चेक करने को कहा था मगर सरकार द्वारा अर्हता चेक किए बिना ही नियुक्ति दे दी गई।
इधर, हरिद्वार के कुलदीप कुमार व अन्य ने विशेष अपील दायर कर इन शिक्षकों की नियुक्तियों को चुनौती दी। जिसमें कहा गया था कि 23 अगस्त 2010 को केंद्र सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के अंतर्गत बीएड पास कर 2012 के बाद सी-टेट पास अभ्यर्थी पहली से पांचवीं कक्षा तक पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं बन सकते।
इन अभ्यर्थियों द्वारा तथ्यों को छिपाकर नौकरी हासिल की गई है। लिहाजा नियुक्तियां रद की जाएं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद सी-टेट पास 164 सहायक अध्यापकों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।