उत्तराखंड में आई 2013 की आपदा को चार साल बीत चुके है लेकिन आज भी आपदा के वो जख्म हरे हैं। 2013 के बाद जहाँ एक तरफ उत्तराखंड में यात्रा पर एक ब्रेक सा लग गया था तो वहीँ पर्यटन पर भी इसका बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा। बड़ी संख्या में गाँव के गाँव खाली हैं। हालात जस के तस बने हुए हैं। उत्तराखंड में आई आपदा से सबसे बड़ा असर अगर पड़ा है तो वो यहाँ के इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ साथ यहाँ के मुख्य व्यवसाय पर्यटन और परिवहन पर पड़ा। लेकिन जिस तरह से पिछले दो सालों में यात्री पहुंचे उससे एक बार फिर प्रदेश में पर्यटन वापस पटरी पर आना शुरू हो गया है। 2017 में तो रिकॉर्ड तोड़ यात्री चार धाम यात्रा में दर्शन करने पहुंचे रहे हैं। चार धाम यात्रा पर अब यात्रियों का विश्वास साफ़ देखा जा सकता है लेकिन फिर भी आज का दिन उस त्रासदी को याद दिला देता है। आपदा के दंश झेल रहे उत्तराखंड में आपदा के चार साल बाद भी जिंदगी को पटरी पर लाने की जद्दोजहद जारी है। आज भी आपदा के जख्म हरे हैं और कई ऐसे गांव जो आपदा के कारण अपनी पहचान खो गए थे आज भी वहां जीवन को दोबारा नहीं बसाया जा सका है। हांलाकि 2017 की चार धाम यात्रा उम्मीद लेकर आई है जिससे मायूसी के 4 साल बीतने का संकेत मिलने लगे हैं। व्यापार ने तेज़ी पकड़ी है और यात्रा में लोगो का विश्वास बना है।
चार धाम यात्रा के लिए ऋषिकेश पहुँच रहे यात्री व्यवस्थाओं को लेकर खुश हैं। उनका मानना है की 2013 के बाद व्यवस्थाओं में काफी सुधार हुआ है जिससे लोग विश्वास के साथ चार धाम यात्रा में आ रहे है। चार धाम यात्रा उत्तराखंड में पर्यटन का मुख्य साधन है, हालाँकि आपदा के बाद प्रदेश में पर्यटन ठप पड़ गया था लेकिन 2017 की यात्रा पर्यटन की दृष्टि से काफी अच्छी रही। इस बार चार धाम यात्रा में यात्रियों की संख्या ने पहले के कई रिकॉर्ड तोड़े। यदि यात्रा के अब तक के आंकड़ों की बात की जाए तो अभी तक यह आंकड़ा 15 लाख के पार पहुँच चुका है। यात्रा में बढ़ी यात्रियों की संख्या से पर्यटन को एक नई गति मिली है जिसने आपदा के जख्मों पर मरहम का काम किया है।
उत्तराखंड की त्रासदी जनहानि के साथ साथ यहाँ के इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी पूरी तरह से तबाह कर गयी थी। सबसे बड़ी मार यहाँ के पर्यटन और ट्रेडिंग उद्योग पर पड़ी है जो पूरी तरह से यात्रा पर निर्भर करता था। आपदा के 4 साल बाद हालात काफी सुधरे और इसका प्रमुख कारण है की इस साल चार धाम यात्रा में रिकॉर्ड तोड़ यात्री आये हैं। राज्य की अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिये उम्मीद यही की जायेगी कि ये ट्रेंड आने वाले सालों में ऐसा ही रहे।