देहरादून, उत्तराखंड सरकार अब उन चिकित्सकों पर शिकंजा कस रही है जो स्वास्थ्य विभाग में होते हुए सेवा से अनुपस्थित रहते हैं। सरकार ने ऐसे 52 चिकित्सकों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। इससे पहले भी 35 चिकित्सकों को सेवामुक्त किया गया था।
सरकार ने इन चिकित्सकों से लिए गए त्यागपत्र को स्वीकार करते हुए इनके पदों को रिक्त घोषित कर दिया है। अब इन पदों पर नए चिकित्सकों की भर्ती होगी।चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सचिव नितेश झा ने बताया है कि 11 जनपदों में 52 चिकित्सक सेवा से मुक्त किए गए हैं। इन चिकित्सकों ने 2003 से लेकर 2016 तक नियुक्तियां प्राप्त की थी, लेकिन सेवाओं को महत्व नहीं दे रहे थे। अनुपस्थित रहने के कारण इन्हें पद मुक्त कर दिया गया है।
इनमें से कई चिकित्सक अपना निजी व्यवसाय कर रहे हैं और कई डॉक्टर निजी अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने पहले इन्हें नोटिस देकर सेवा पर आने को कहा था, लेकिन चिकित्सक ड्यूटी पर नहीं गए। शासन ने इन चिकित्सकों के संदर्भ में आख्या मांगी थी। स्वास्थ्य महानिदेशक की आख्या पर शासन ने यह कार्रवाई की है।
इन चिकित्सकों में राजधानी देहरादून के पांच, चंपावत के पांच, नैनीताल के सात, ऊधमसिंह नगर जनपद के तीन, अल्मोड़ा के पांच, उत्तरकाशी के तीन, पिथौरागढ़ के छह, रुद्रप्रयाग के छह, हरिद्वार के पांच, पौड़ी के पांच और बागेश्वर जनपद के दो चिकित्सक शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में पहले से ही चिकित्सकों की कमी चल रही है। इसलिए सेवा नहीं देने वाले चिकित्सकों पर इस तरह की कार्रवाई की जा रही है। इससे पहले भी 35 चिकित्सकों को सेवामुक्त किया गया था।