राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर प्रदेश सरकार ने आठ सिद्ध दोष बंदी कैदियों को विशेष माफी देकर रिहा करने का निर्णय लिया है। इन सभी को पांच अक्टूबर को रिहा किया जाएगा। रिहा होने वाले कैदियों में अधिकांश चोरी, जालसाजी, गृह भेदन और दहेज उत्पीड़न के मामलो में जेल की सजा काट रहे थे। इन आठ कैदियों में सात पुरुष और एक महिला कैदी शामिल है।
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर कैदियों को रिहा करने के आदेश दिए थे। इस आदेश के अनुसार तीन चरणों में कैदियों की रिहाई होनी है। पहले चरण की रिहाई दो अक्टूबर को गांधी जयंती, दूसरे चरण की रिहाई 10 अप्रैल को चंपारण सत्याग्रह की वर्षगांठ और तीसरे चरण की रिहाई अगले वर्ष दो अक्टूबर को होनी है।
केंद्र ने इसके लिए कुछ मानक भी तय किए। इनके अनुसार प्रदेश में प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में गठित समिति ने जेलों से कैदियों के नाम मांगे गए थे। शासन को कुल 23 नाम प्राप्त हुए थे। इन सभी नामों पर विचार विमर्श के बाद सरकार ने आठ कैदियों को रिहा करने का निर्णय लिया है।
इन कैदियों में पटेलनगर, देहरादून निवासी गुड्डू चौहान (44 वर्ष), हरर्बटपुर, देहरादून निवासी कुलदीप, कुमारवाड़ा, ऋषिकेश निवासी संजय, न्यू पटेलनगर, देहरादून निवासी हंसमुल्ला, हनुमान मंदिर ऋषिकेश निवासी सोनू, मायाकुंड ऋषिकेश निवासी शालू, कनखल, हरिद्वार निवासी, मोंटी और घिमतौली, रुद्रप्रयाग निवासी गोविंद सिंह शामिल हैं।
50 वर्ष से ऊपर के केवल एक कैदी की रिहाई
शासन ने कैदियों को छोड़ते हुए इसमें दो तिहाई से अधिक सजा काट चुके कैदियों की रिहाई के मानक को ही विशेष माफी का पात्र माना है। दरअसल, केंद्र ने जो मानक तय किए थे उसके अनुसार 55 वर्ष से अधिक उम्र की महिला व किन्नर तथा 60 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष, जिन्होंने अपनी आधी सजा काट ली हो, को भी रिहाई का पात्र माना था। शासन की ओर से रिहा किए गए कैदियों की सूची पर नजर डालें तो इनमें से केवल एक ही पुरुष 74 वर्ष का है लेकिन वह दो तिहाई से अधिक सजा पूरी करने के मानक को भी पूरा कर रहा है।
प्रमुख सचिव गृह आनंद वर्धन ने बताया कि समिति ने जो नाम चिह्नित किए थे, उन पर राज्यपाल और मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद ही इन कैदियों को परिहार प्रदान करते हुए जेल से रिहा करने का निर्णय लिया गया है।