उत्तराखंड से राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी ने आज सदन में उत्तराखंड में बरसात के कारण हो रही आपदा की गंभीर स्थितियों का मुद्दा उठाया।
बलूनी ने कहा कि, “उत्तराखंड में निरंतर वर्षा, अतिवृष्टि, बादल फटने और भूस्खलन के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त है। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव दिखाई दे रहे हैं। विगत कुछ वर्षों से अतिवृष्टि व बादल फटने की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है।”
सांसद बलूनी ने कहा कि, “इन प्राकृतिक आपदाओं के कारण राज्य में जान-माल का भारी नुकसान हो रहा है। बड़ी संख्या में भवनों, कृषि भूमि, मार्गों एवं मवेशियों का नुकसान हो रहा है। लोग जहां-तहां फंसे हुए हैं। अतिवृष्टि और बादल फटने के कारण विद्युत लाइनें, नहरें, गूल, पेयजल लाइनें, संचार लाइनें, संपर्क मार्ग ध्वस्त हैं।”
उत्तराखंड सरकार पूरी क्षमता से जनता को राहत पहुंचाने के कार्यों में पूरे मनोयोग से लगी हुई है किंतु राज्य सरकार की संसाधन क्षमता सीमित है। ऐसी परिस्थितियों में आपदा प्रभावी उत्तराखंड को राहत पैकेज पर विचार किया जाना चाहिए। उत्तराखंड भोगौलिक रूप से दुर्गम और प्राकृतिक रूप से संवेदनशील राज्य है। यहाँ कभी भी कोई बड़ी घटना घट सकती है।
सांसद बलूनी ने कहा कि, “उत्तराखंड में ऐनङीआरऐफ की स्थायी यूनिट की स्थापना आवश्यक है ताकि आपदा की घड़ी में संकट में फंसे नागरिकों को समय पर सहायता मिल सके।”