डीएवी के चुनाव पर टिकी है एबीवीपी की साख

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एमकेपी में लगातार सात साल से जीत के बाद हार, एसजीआर से ज्ञी सभी पदों से हाथ थोने के बाद अब एबीवीपी की साख दांव पर लग गई है। राजधानी के चार कॉलेजों में से दो में हार के बाद अब संगठन डीबीएस को लेकर गंभीर है। इसके अलावा राज्य के सबसे बड़े कॉलेज डीएवी पीजी कॉलेज में लगातार दस सालों की जीत के बाद अब बाकी कॉलेजों में करारी शिकस्त से संगठन की साख डीएवी चुनाव पर टिकी है।

केंद्र से लेकर राज्य की भाजपा सरकार व अन्य समर्थित संगठनों को पूरा फोकस इस वक्त साल 2019 में आयोजित होने वाले लोक सभा चुनावों को लेकर तैयारियों में जुटे हैं। ऐसे में उत्तराखंड में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का लगातार दो कॉलेजों में एक भी पद पर जीत हासिल करने में नाकामयाब रहना संगठन को बड़ा झटका है। दरअसल, एमकेपी पीजी कॉलेज में छात्र संघ चुनावों में संगठन ने पिछले सात सालों से कब्जा रहा है। लेकिन इस बार इतिहास बदलते हुए एनएसयूआई ने कॉलेज के सभी पदों पर अधिकार जमाया। इसके बाद एसजीआरआर पीजी कॉलेज में बीते साल एबीवीपी का छात्र संघ पर कब्जा था। लेकिन, इसके बाद इस साल यहां भी एनएसयूआई ने सभी पदों पर क्लीन स्वीप लगाकार एबीवीपी के लिए परेशानी खड़ी कर दी।

अब 26 अगस्त को डीबीएस का छात्र संघ चुनाव होना है। यहां के बाद छात्र संख्या के लिहाज से राज्य के सबसे बड़े कॉलेज डीएवी पीजी कॉलेज में 31 अगस्त को मतदान होगा। डीएवी में एबीवीपी ने बीते 10 सालों से लगातार जीत का रिकॉर्ड बनाया है। हालांकि बीते साल चुनाव में जीत हार का अंतर बेहद कम रहने के कारण इस बार यहा भी संगठन जीत को लेकर बेहद गंभीर है। ऐसे में अब बाकी बचे दो कॉलेजों मे चुनाव संगठन के लिए नाक का सवाल बन गया है।