बदल रही है उत्तराखंड में एडवेंचर टूरिस्म से तस्वीर

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धार्मिक पर्यटन के बाद अब धीरे धीरे बदल रहा टूरिस्म का स्वरुप, ऋषिकेश में रिवर राफ्टिंग और बंजी जम्पिंग, रेप्लिंग, फ़्लाइंग फॉक्स की विश्व में पहचा।

देहरादून, उत्तराखंड में पर्यटन की असीम सम्भावना है, धार्मिक पर्यटन और तीर्थाटन अभी तक यहाँ की आर्थिकी का बड़ा हिस्सा रहा है लेकिन पर्यटन के बदलते स्वरुप ने यहाँ एक नयी सोच को जन्म दिया है। स्थानीय युवा और कुछ निजी कंपनिया एडवेंचर स्पोर्ट को उत्तराखंड की पहचान बनाने में जुटे है जिस में सरकार की भूमिका न के बराबर है।

पश्चिमी देशो के साथ-साथ भारत में भी अब एडवेंचर स्पोर्ट दीवानापन बढ़ता जा रहा है। उत्तराखंड में ऋषिकेश की पहचान वर्ल्ड मैप पर रिवर राफ्टिंग के साथ साथ बंजी जम्पिंग ,रेप्लिंग ,फ़्लाइंग फॉक्स जैसे विदेशी खेलो से भी बनती जा रही है। रोज़ बड़ी संख्या में दीवाने इन खेलो का लुफ्त उठाने उत्तराखंड में आ रहे है ।उत्तराखंड में रिवर राफ्टिंग सहित ट्रैकिंग और अन्य कई एडवेंचर स्पोर्ट्स को शुरू करने वाली किरण टोडरिया कहना है कि, “उत्तराखंड में नए डेस्टिनेशन विकसित कर टूरिस्म को नए नजरिये से देखना होगा , उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थित देख कर यहाँ किस तरह का टूरिज्म विकसित करना होगा मास टूरिस्म या सलेक्टिव टूरिस्म ,जो उत्तराखंड के लिए सबसे जरुरी है जिस से यहाँ नए निर्माण न कर पुराने घरो और गावो को विकसित करना होगा।”

वही यहाँ राफ्टिंग की शुरुवात करने वाले राफ्टिंग व्यवसायी की मांग है की सरकार राज्य के स्थानीय युवाओ को प्रमोट करे और आर्थिक मदद दे साथ ही एक ठोस राफ्टिंग नीति बनाये जिस राज्य में नए रोज़गार का सर्जन हो सके। नए राफ्टिंग जोन खोले और साथ ही एक इको पॉलिसी के तहत युवाओ को जोड़े। जिस से आने वाले दिनों में उत्तराखंड में पर्यटन की दिशा ही बदल जाएगी और यहां के युवाओं को पलायन नहीं करना पड़ेगा और घर बैठे रोजगार मिल जाएगा, उत्तराखंड में नए टूरिस्म को लेकर बड़ी हलचल है , लेकिन यहाँ की भूगोलिक परिस्तिथि और पयार्वरण को देखते हुए और हाल में हुयी केदार नाथ आपदा से सबक लेते हुए ,नयी सोच अपनानी होगी पर्यटन का आधार तय करना होगा की पर्यटन मास टूरिस्म या सलेक्टिव टूरिस्म पर आधारित हो ?