आने वाले दिनों में स्कूलों की कक्षा छह से आठ के बच्चे पाठ्यक्रम में खेती करना भी सीखेंगे, बच्चों को कृषि से जोड़ने के मकसद से सरकार यह कदम उठाने जा रही है। खास बात यह है कि कृषि अनिवार्य विषय के रूप में पाठ्यक्रम में जोड़ा जाएगा।
बुधवार को प्रदेश के कृषि, कृषि विपणन, कृषि प्रसंस्करण, कृषि शिक्षा, उद्यान एवं फलोद्योग एवं रेशम विकास मंत्री सुबोध उनियाल ने किसानों के लिए संचालित कृषि विभाग की योजनाओं की प्रगति की समीक्षा के दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने यह बात कहीं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की लगभग दो तिहाई आबादी कृषि पर निर्भर हैं, कृषि गांव में पलायन रोकने का बेहतर माध्यम है। सरकार का प्रयास है कि कृषि क्षेत्र में केंद्र सरकार के सहयोग से अभिनव प्रयोग किये जाएं। बच्चों में कृषि के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए जिन विद्यालयों में कृषि भूमि उपलब्ध है। वहां पर छात्रों को खेती किसानी गतिविधि से जोड़ने के लिए कक्षा छह, सात व आठ में कृषि को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करने की योजना है। कृषि महाविद्यालय खोलने की भी योजना गतिमान है, ताकि यहां के छात्रों को कृषि व उद्यान के क्षेत्र में युवा वैज्ञानिक के रूप में तैयार किया जाय जो उनके रोजगार का प्रभावी माध्यम बनेगा।
इस दौरान मंत्री उनियाल ने कृषि निदेशालय का औचक निरीक्षण भी किया। निरीक्षण के दौरान कृषि निदेशक व अन्य अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि सभी अधिकारी और कर्मचारी अपने कार्य के प्रति सजग रहें। उन्होंने चेतावनी दी कि कार्य के प्रति किसी भी प्रकार की उदासीनता सहन नहीं की जाएगी। उन्होंने निर्देशित किया कि समस्त अधिकारी और कार्मिक समय पर कार्यालय में अपनी उपस्थिति दें और सरकार द्वारा कृषि के क्षेत्र में किसानों के हित में लिए गए निर्णयों का समयबद्धता व गुणवत्ता से क्रियान्वयन करें।
उन्होंने कृषि निदेशालय में हो रहे नवनिर्माण कार्यों का भी स्थलीय निरीक्षण किया गया और मौके पर निदेशक कृषि गौरीशंकर को निर्देश दिए कि निर्माण कार्य में किसी भी प्रकार की शिथिलता नहीं होनी चाहिए व निर्माण कार्य गुणवत्ता युक्त हो। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा नीति आयोग के समक्ष प्रभावी पहल किए जाने से नीति आयोग द्वारा कृषि सहायता व अनुदान में अलग मानक निर्धारण हेतु 11 पर्वतीय राज्यों कि अलग से बैठक किए जाने का निर्णय लिया गया है।