बेहिसाब संपत्ति अर्जित करने वाले उम्मीदवार पर नज़र रखने के लिए कोई स्थाई तंत्र क्यों नहीं है : सुप्रीम कोर्ट

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पेगासस
File Photo

नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह दो हफ़्ते मे बताए कि दो चुनाव के बीच बेहिसाब संपत्ति अर्जित करने वाले उम्मीदवार पर नज़र रखने के लिए कोई स्थाई तंत्र क्यों नहीं है? सुप्रीम कोर्ट ने विधायी विभाग के सचिव को दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके साथ ही फ़ार्म 26 में संशोधन कर उम्मीदवार घोषित करे कि वह जनप्रतिनिधि कानून में अयोग्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ लोक प्रहरी की याचिका पर 16 फरवरी, 2018 को आदेश दिया था कि उम्मीदवारों को अपनी और परिवार की संपत्ति के साथ उसका स्रोत भी बताना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों में धनबल के इस्तेमाल पर चिंता जताई थी । सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार इस बात के लिए खिंचाई की थी कि सांसदों और विधायकों की संपत्ति काफी बढ़ने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती । कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि उन सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपने क्या कार्रवाई की, जिनकी संपत्ति चुनाव हलफनामा भरते के बाद काफी बढ़ गई।

सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने सांसदों और विधायकों की आय से अधिक संपत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था । सीबीडीटी के मुताबिक चुनावी हलफनामे के मुताबिक 26 लोकसभा सांसदों, 11 राज्यसभा सांसदों और 257 विधायकों की संपत्ति में काफी वृद्धि हुई है।

हलफनामे के मुताबिक आयकर विभाग ने जांच की और प्रथम दृष्टया पाया कि 26 लोकसभा सांसदों में से 7 की संपत्ति में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। अब आयकर विभाग इन सात लोकसभा सांसदों की संपत्ति की जांच करेगी । 257 विधायकों में से 98 विधायकों की संपत्ति में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। उनकी संपत्ति की जांच की जा रही है।