4 अक्टूबर को, राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराकाशी की गंगोत्री रेंज के लिए छः पर्वतारोहियों के ग्रुप जिसमें दो महिलाओं भी थी उनको हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।
‘अटल मिशन’ पर निकले इन पर्वतारोहियों ने 7 अक्टूबर को गंगोत्री क्षेत्र में 6000 से 6600 मीटर की ऊंचाई पर चार अनछूई चोटियों पर फतेह करी औऱ इस मिशन को स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति को समर्पित करने की मांग की है।
इस साहसी टीम में उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड के सदस्य अवधेश भट्ट, ज्योत्सना रावत और अनामिका बिष्ट के साथ एनआईएम प्रिंसिपल कर्नल अमित बिष्ट, प्रशिक्षक राकेश राणा, उत्तरकाशी के प्रसिद्ध पर्वतारोही विष्णु सेमवाल और हाई एल्टीट्यूड पर चढ़ाई करने वाले प्रेम और गेलबू ने भाग लिया। ।
एनआईएम के प्रिंसिपल कर्नल अमित बिष्ट हमें बताते हैं कि, “अभियान से पहले हमने आईएमएस से पूछताछ की थी, जिन्होंने पुष्टि की थी कि इन चार चोटियों जो अननेम्ड और अनस्केल्ड थे, इसलिए इसे करना हमारे लिए चुनौती बन गया।“
समिट पूरा करने के बाद हमसे बात करते हुए, टीम के सबसे कम उम्र की सदस्य, उत्साहित ज्योत्सना कहती हैं कि, “पूरा अभियान एक झपकी में khatam हो गया।” वह आगे कहती है, “न केवल चोटियों की तकनीकी चुनौती, नए रास्ते, खराब मौसम और एक निश्चित समय अवधि पर इसको पूरा करना मेरे लिए ही नहीं, बल्कि अनामिका के पहले अभियान का एक खास अनुभव बन चुका है।“
अभियान को पूरा करते ही, उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड के सदस्य अवदेश भट्ट अब एक और मिशन पर हैं, “हमने इसे ‘मिशन अटल’ नाम दिया और जब हम 19 अक्टूबर को चोटी पर मिशन पूरा करने के बाद लौट आए, तो हमने इन्हें ‘अटल रिज’ नाम देने के लिए एक पहल की है।” क्षेत्र के स्थानीय अधिकारियों से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट प्राप्त किया गया, जिसे आईएमएफ के साथ-साथ उत्तराखंड सरकार, सर्वे ऑफ इंडिया के सामने रिपोर्ट पेश के रहे हैं, जिसके बाद पीएमओ से अपील की जायेगी कि इन चोटियों को अटल रिज़ का नाम दें।