देहरादून, बहुत कम ही ऐसा होता है जब टीवी और सीरियलों में काम करने वाला कोई कलाकार आपको सड़क के किनारे फावड़ा लेकर काम करते हुए दिखे और वो भी बिना मीडिया के।
ऐसे ही एक कलाकार है नितिन सहरावत जिन्होंने रातों रात अपने जिंदगी का बड़ा फैसला लिया और मुंबई की चकाचौंध से दूर अपने शहर देहरादून में कुछ अलग करने का फैसला किया। देहरादून एक अच्छे और नामी परिवार में पैदा हुए नितिन बचपन से ही अपने जूनुन का पीछा करते रहे हैं।स्कूली शिक्षा देहरदून में पूरी करने के बाद उन्होंने कर्नाटका से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया।पढ़ाई के दौरान उन्होंने मुंबई जाने का फैसला किया और एक सपने के साथ मुंबई पहुंच गए।
मुंबई का सफर आसान नहीं था लेकिन नितिन ने कभी हार ना मानी। मॉडलिंग से अपने सफर की शुरुआत करने के बाद वह देखते ही देखते कई सीरियलों में नजर आने लगे।एकता कपूर के सीरियल ‘बड़े अच्छे लगते है’ और ‘परिचय’ जैसे बहुत से सीरियलों में नितिन ने अलग-अलग भूमिकाएं निभाई।
इन सब के साथ नितिन को एक बात हमेशा से परेशान करती थी वह था उनका वातावरण से प्यार और मुंबई में हरियाली की कमी।इसी सोच के साथ नितिन ने एक रात अपने लैबराडॉर थॉर के साथ रोड ट्रिप पर जाने का प्लान बनाया और राजस्थान होते हुए देहरादून पहुंचे।
देहरादून पहुंचने पर नितिन को महसूस हुआ कि पहाड़ों के पास बसा शहर भी अब कर्मशियल होता जा रहा और जिस हरियाली में वह बचपन से रहते थे वह कम होते जा रही।
बस उस दिन ही नितिन ने ‘अटल वाटिका’ बनाने का सोचा और उसपर काम करना शुरु कर दिया। सहस्त्रधारा रोड स्थित अपने घर के पास से ही नितिन ने काम करने शुरु किया और वहां पर एक मिनी फॉरेस्ट यानि की वाटिका शुरु करी।
नितिन बताते हैं कि, “मेरे घर के आसपास होने वाले लीची और आम के बगीचे अब खत्म हो गए थे और वहां अर्पाटमेंट और नए घरों का कंस्ट्रक्शन चालू था। मैं मुंबई से पेड़-पौधे और स्वच्छ वातावरण के बीच में कुछ समय बिताना चाह रहा था, लेकिन वे पेड़ अब अस्तित्व में नहीं थे। देहरादून एक और मुंबई बनने की कगार पर था जहां केवल प्रदूषण है।दून की स्थिति देखकर मुझे बहुत दुख हुआ। और इसने मुझे एक उद्देश्य और जुनून से भर दिया जो मैंने महसूस नहीं किया था।बस तभी मैंने पेड़ लगाने का फैसला किया।”
उसपर अमल भी किया, यह पेड़ लगाना नितिन के लिए कोई सेलिब्रिटी स्टंट नहीं था और इसलिए उन्होंने इसके लिए कुछ अलग करने का फैसला किया। इसलिए, उन्होंने स्थानीय सरकार से संपर्क किया, उनसे पचास पेड़ और ट्री-गार्ड के लिए अनुरोध किया, और कॉलोनी के आसपास की सड़कों पर इन्हें लगाने की अनुमति भी ली।
नितिन की इस डिमांड को मंजूरी दी गई, और वह पेड़ों को लेने के लिए नर्सरी में गए।नितिन कहते हैं, “यह मेरे जीवन के सबसे खूबसूरत अनुभवों में से एक था, जैसे मैं एक कैंडी की दुकान में हूं, और मैं जो कुछ भी चांहू, उसमें से 50 पेड़ चुन सकता था।इस नर्सरी ने नितिन ने अलग-अलग रंगों के पेड़ पौधे चुने।”
नितिन कहते हैं कि, “मुझे यह महसूस करने में ज्यादा समय नहीं लगा कि पेड़ लगाना आसान था; लेकिन इन पौधे की देखभाल तब तक करनी पड़ती है जब तक कि वे पर्याप्त मजबूत नहीं हो जाते जो कि असली काम था।”
अपने पिता के गार्डेनिंग टूल्स की मदद से नितिन ने जंगली घास को साफ कर लगभग 50 पौधों को बोया। हर शाम उन सभी पौधों को पानी देना और उसकी देखरेख करना नितिन का मुख्य काम हो गया।और कुछ ही दिनों में नितिन को उनकी रंग लाती दिखी जब सड़क के किनारे लगाए हुए उनके पौधे एक वाटिका की तरह तैयार हो गए। अटल वाटिका को पर्याप्त पानी देने के लिए नितिन ने कुछ नालियां बनाई जिससे बारिश का पानी भी पौधों की तरफ जा सके। इस पूरे काम के दौरान नितिन ने अपने एक्टिंग करियर से थोड़ा ब्रेक लिया और देहरादून में रहकर इसपर काम किया।
अपने मिनी फॉरेस्ट की सफलता से प्रेरित होकर, मैंने इस वृक्षारोपण की पहल को अगले स्तर तक ले जाने का निर्णय लिया। “मैंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की, उनके प्रशासन से अनुरोध किया कि वे नितिन को देहरादून शहर में खाली पड़े नगरपालिका की जमीन पर और समन्वित वृक्षारोपण अभियान के लिए पेड़ लगाने की अनुमति दें।”
अपनी इस पहल के लिए नितिन को काफी सराहना मिल रही है, चाहें वह सीएम हो या फिर क्षेत्रीय लोग।