हरिद्वार, करवा चौथ के दिन महिलाएं निर्जल व्रत रहकर पति के लंबी उम्र की कामना करती हैं। अपने सुहाग के लिए समर्पित इन दिन अगर सुहागिनें कुछ बातों का खास ख्याल न रखें तो उन्हें पूजा और व्रत का फल नहीं मिलता।
जीवन साथी के लंबे साथ की मनोकामना के साथ शुरू होने वाले करवा चौथ के व्रत के दिन महिलाएं पूरा दिन निर्जल व्रत धारण कर रात्रि में चांद के दीदार के बाद ही अर्घ्य देकर व्रत को खोलती हैं। इस तप के दौरान अगर महिलाए कुछ चूक कर दें तो उनकी मेहनत बेकार हो जाती है। पं. देवेन्द्र शुक्ला शास्त्री के अनुसार मान्यता है कि इस दिन सुहागिनों को सफेद और काले रंग के कपड़ों से दूरी बनाई रखनी चाहिए। महिला को लाल रंग के वस्त्रों को धारण कर श्रृंगार करना चाहिए। इस दिन में कैंची का इस्तेमाल करना अच्छा नहीं माना जाता। बाल काटने से भी बचना चाहिए।
इसके अलावा किसी की बुराई करने से भी व्रत और पूजा का फल नहीं मिलता है। घर में किसी का अपमान करना, बच्चों को डाट-फटकार लगाना और बूढ़ों का तिरस्कार करना वर्जित बताया गया है। करवाचौथ के दिन महिलाओं को दूध, दही और सफेद रंग के कपड़ों को दान करने से बचना चाहिए। इसे अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे चंद्रमा कुपित हो जाते हैं। दान के लिए लाल रंग की चीजें ही देनी चाहिए और सुहाग से संबंधित चीजें दान करना चाहिए। माना जाता है कि इस दिन सुहागिनें अगर श्रृंगार से जुड़ा सामान कुड़े में फेंकती हैं तो पूजा-पाठ का उल्टा ही फल मिलता है।