तापमान का बदलना, विपरीत दिशा में हवा की गति का होना, स्मॉग, घुआं, धूल, नमी, ये सभी प्रकृति के एक अद्धभुत नजारे के लिये उम्दा हैं : विंटरलाइन
पहाड़ों की रानी मसूरी में सर्दियों के आगाज के साथ-साथ लोगों को मसूरी की मशहूर विंटरलाइन का इंतजार है। पिछले साल इस समय आप मसूरी में किसी भी तरफ चले जायें, आपको स्मार्ट फोन और कैमरों से लैस पर्यटक और स्थानीय लोग जगह-जगह मसूरी विंटरलाइन की खूबसूरती को अपने कैमरे में कैद करते दिख जाते थे।
लेखक-इतिहासकार गणेश सैली कहते हैं कि “दुनियाभर में सूर्यास्त के समय सूरज किसी न किसी भूगौलिक स्थिति में छुप जाता है, ये चाहे पहाड़ हो या समुद्र। लेकिन मसूरी में ऐसा नही है। यहां सूरज, एकलकीर की तरह अस्त होता है और मसूरी विंटरलाइन को जन्म देता है।”
ग्रीक दंत कथाओ के मुताबिक देवी वीनस एक हाथ से बनी जादुई बेल्ट पहनती थी, इसे गिर्डल ऑफ वीनस कहा जाता था। ये बेल्ट वीनस के पति वलकन ने अपने हाथों से सोने को पिरों के बनाई थी। अपनी पत्नी से बेइंतेहा मुहब्बत करने वाले वलकन ने इस बेल्ट को वीनस के लिये तोह्फे के तौर पर बनाया था, यहीं बेल्ट या कमरबंध आगे चलकर विटरलाइन कहलाई गई।
और आज मसूरी में कुदरत का ये नजारा होटल व्यापारियों के लिये कमाई का साधन भी बन गया है। कमरे की बालकोनी में, या व्यूइंग-बालकोनी और डेक से आप मसूरी विंटरलाइन का नजारा साफ देख सकते हैं। विंटरलाइन के दौरान आसमान के क्षितिज पर गुलाबी, पीले, बैंगनी और नीले रंग की अद्दभुत रंगोली बन जाती है। इसके साथ पहाड़ों, पेड़ों और इमारतों की आउटलाइन इस विंटर लाइन की खूबसूरती में चार चांद लगाती है।
इस साल हांलाकि इस जादू के लिये इंतजार लंबा हो गया है। इसके पीछे शायद ऊपरी पहाड़ी इलाको में पड़ रही ठंड या आसमान में बादल कारण हो सकते हैं, लेकिन यकीन कोई भी शायद ही कह सके, हर शाम लोग विंटरलाइन के दिखने की उम्मीद से क्षितिज की तरफ निहारते हैं।
आईये आप और हम कुदरत के इस नजारे के दीदार के लिये ज्यादा इंतजार न करे और ज्लद ही विंटरलाइन के जादुई रंगों का नजारा लेने मसूरी पहुचें।