देहरादून। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में एक विवाद खत्म होता नहीं कि दूसरा पैदा हो जाता है। नियुक्ति, सुविधा और संसाधनों की कमी का विवाद के बाद अब बिना किसी लिखा पढ़ी के विवि में सप्लाई किए गए सामान की पेमेंट का मामला सामने आया है। सप्लाई करने वाली एजेंसी सामान की पेमेंट मांग रही है। लेकिन बिना लिखा पढ़ी प्राप्त हुए इस सामान की धनराशि अवमुक्त करने से विवि ने साफ इनकार कर दिया है। एजेंसी ने सामान वापस लेजाने की चेतावनी तक दे दी है।
बिना कोटेशन ही ले लिया 90 लाख का सामान
पूरा मामला आयुर्वेद विश्विद्यालय के पूर्व कुलसचिव डॉ. मृत्युंजय मिश्र के समय से चला आ रहा है। एजेंसी का कहना है कि पूर्व कुलसचिव ने आनन फानन में कॉलेज खोलने के चक्कर मे मेसर्स ऋषभ इंटरप्राइजेज को बिना कोटेशन और आॅर्डर निर्गत किये ही तकरीबन 90 लाख रूपये का सामान विश्विद्यालय को आपूर्ति करने का मौखिक आदेश दिया। जिसके बाद मेसर्स ऋषभ इंटरप्राइजेज ने उक्त सामान की आपूर्ति भी कर दी। बिना किसी लिखत पढ़त के की गई इस आपूर्ति का तकरीबन दो साल बीत गए हैं। अब दो साल से यह सामान लावारिस पड़ा है और इंटरप्राइजेज भुगतान के लिए विश्विद्यालय के चक्कर काट रहा है।
काफी सामान हो गया गायब
फर्म द्वारा आपूर्ति किये सामान में ओटी, पैथोलॉजी लेब, गायनी, पीडिया विभागों सहित कई विभागों के उपकरण शामिल हैं। जानकारों की मानें तो लाखों रुपये के इन सामानों में से कई सामान दैनिक उपभोग में खप गए। मामले में न तो अधिकारियों ने सुध ली और न ही कोई सकारात्मक कदम विवि प्रशासन की ओर से उठाया गया। इस बीच पूर्व कुलसचिव डॉ. मृत्युंजय मिश्र विश्विद्यालय से रुखसत हो गए। विवि के कुलपति भी बदल गए। इसके बाद संबंधित एजेंसी के सप्लायर ने अपने पेमेंट के लिए विश्विद्यालय को गुहार लगाई तो नए निजाम ने सप्लाई आदेश मांगा जो सबंधित एजेंसी के पास था ही नहीं, क्योंकि सेटिंग गेटिंग से बिना कोटेशन उक्त सामान की आपूर्ति की गई।
विवि झाड़ रहा मामले से पल्ला
लाखों रुपये के सामान यूं ही बिना नियम कायदे सप्लाई करने के इस मामले में अब एजेंसी ने 90 लाख रुपये के लिए विवि प्रशासन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। लेकिन विवि प्रशासन ने इस पूरे प्रक्ररण से ही पल्ला झाड़ लिया है। अब संबंधित एजेंसी ने अपना सामान पेमेंट न होने की दशा में वापिस ट्रक में भर ले जाने का अल्टीमेटम दिया है।
मामले में विवि के कुलपति प्रो. अभिमन्यु कुमार का कहना है कि यह सप्लाई पूरी तरह से नियमविरुद्ध की गई थी। संज्ञान में आते ही इसे निरस्त कर दिया गया था। अब दोबारा नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाएंगे। एजेंसी को भी इसे लेकर सूचना दे दी गई है।