(गोपेश्वर) गरीबों का भी अमीरों की तरह होगा इसके लिए आयुष्मान भारत की योजना शुरू तो हो गई है मगर देश के सीमांत जिले चमोली में जब डाक्टरों का अकाल पडा हुआ है ऐसे में सवाल उठ रहे है कि मरीज बिना डाक्टरों के कैसे आयुष्मान रहेंगे।
चमोली जिले में डाक्टरों के कुल 171 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 65 ही कार्यरत हैं। इनमें भी अधिकांश स्थानों पर दंत चिकित्सक हैं, मगर विषय विशेषज्ञ डाक्टर है ही नहीं। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे जिले में कहीं फिजिशियन नहीं हैं। जिला चिकित्सालय में तक में ग्यानोलाॅजिस्ट नहीं है। महिला चिकित्सकों का तो टोटा ही बना है। जिला चिकित्सालय तक रैफर सेंटर बना हुआ है। ऐसे में आयुष्मान भारत योजना कैसे सफल होगी अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि विभाग के आंकडों के अनुसार 2011 की गणना को आधार मानते हुए 12 हजार से अधिक ग्रामीणों क्षेत्रों से तथा तीन हजार शहरी गरीब लोगों का पंजीकरण आयुष्मान योजना के अंतर्गत हुआ है मगर लाख टके का सवाल इलाज करेगा कौन।
जिला चिकित्सालय समेत सीएससी, पीएससी में डाक्टरों का अकाल
जिला चिकित्सालय में फिजिशियन, महिला रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। दो साल बाद एक सिजेरियन आपरेशन हो पाया। सीएमओ डॉ. तृप्ति बहुगुणा और सर्जन डा. नरेश जौहरी ने यह प्रयोग किया और सफल हो पाये। महिला चिकित्साधिकारियों के न होने पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्थिति कितनी गंभीर है। बाल रोग विशेषज्ञ लंबी छूट्टी पर गये है। जिन डाक्टरों की तैनाती पूर्व में हुई भी थी। उन्होंने कार्यभार ग्रहण नहीं किया। जिन्होंने किया भी वे अवकाश पर चले गए।
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. तृप्ति बहुगुणा कहती है कि शासन के समक्ष डाक्टरों की स्थिति का ब्यौरा रखा गया है। शासन से डाक्टरों की तैनाती के लिए निवेदन किया गया है।
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