देवभूमि उत्तराखंड के रमणीक स्थानों में शमिल 20वीं सदी के दिव्य संतों में गिने जाने वाले बाबा नीम करौली महाराज के 1962 में स्थापित कैंची धाम में 1964 से हर वर्ष 15 जून को मंदिर का स्थापना दिवस समारोह मनाने की परंपरा गत वर्ष 2020 में 56वें वर्ष में कोरोना लॉकडाउन की वजह से टूट गई थी। इस वर्ष भी कपाट बंद रहे। खासकर मंगलवार यानी बाबा के ईष्ट हनुमानजी का वार होने के बावजूद पहली बार मंदिर के वार्षिकोत्सव पर कपाट बंद रहे एवं प्रतीकात्मक रूप से बाबा को भोग लगाया गया।
मंदिर ट्रस्ट के प्रबंधक विनोद जोशी की अगुवाई में बाबा एवं आश्रम में स्थापित माता वैष्णवी, हनुमान, शिव आदि अन्य देवी -देवताओं को भोग लगाया गया। साथ ही हनुमान जी के अवतार कहे जाने वाले बाबा से देश-दुनिया को कोरोना की महामारी से मुक्त करने के लिए प्रार्थना की गई। पहले से ही मंदिर प्रबंधन ने इस वर्ष मेला व बाबा के दर्शन न होने की जानकारी दी थी। फिर भी सैकड़ों लोग आज कैंची धाम पहुंचे और सड़क से ही नजर आने वाली बाबा की आदमकद एवं सजीव लगने वाली कंबल ओढ़ी मुस्कुराती मूर्ति के दर्शन किए।
उल्लेखनीय है कि कैंची धाम रुद्रपुर-कर्णप्रयाग राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 109 (पूर्व एनएच 87) पर नैनीताल जनपद में भवाली-अल्मोड़ा मोटर मार्ग के बीच है। नैनीताल से 18 किलोमीटर की दूरी पर देश-दुनिया में विरले ही मिलने वाली उत्तरवाहिनी क्षिप्रा नदी के तट पर तकरीबन कैंची के आकार के दोहरे ‘हेयर पिन बैण्ड’ पर स्थित है। पूर्व में यहां हर वर्ष केवल इसके स्थापना दिवस 15 जून को ही लाखों सैलानी जुटते थे। बीते वर्षों में फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा एवं एप्पल कंपनी के सीईओ स्टीव जॉब्स की बाबा नीब करौरी में आस्था का पता लगने के बाद यहां वर्ष भर भी श्रद्धालुओं का आना लगा रहता है।
पूर्व में ही वार्षिकोत्सव कार्यक्रम न होने की घोषणा के बावजूद कैंची धाम में मंगलवार सुबह से ही पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के साथ ही नैनीताल, हल्द्वानी से श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। उन्हें आश्रम के बाहर एवं अंदर मौजूद पुलिस कर्मियों ने प्रवेश नहीं करने दिया। लेकिन मंदिर के अंदर मंदिर ट्रस्ट के अलावा भी अन्य लोगों की मौजूदगी देखी गई। लोग वाहनों की पार्किंग की ओर से भी मंदिर में प्रवेश करते देखे गए। इस पर श्रद्धालुओं में नाराजगी देखी गई। बाद में ऐसे लोगों को भी सुबह की आरती के बाद मंदिर से बाहर भेजा गया। सुबह 9 बजे तक लोगों को प्रसाद भी नहीं दिया गया।
मंदिर ट्रस्ट के प्रबंधक विनोद जोशी ने बताया कि बाद में बाहर सड़क पर आने वाले श्रद्धालुओं को सीमित मात्रा में प्रसाद वितरित किया गया और उनका चढ़ावा लेकर भी बाबा को चढ़ाया गया।