ऋषिकेश के हेमंत की मुहिम ”बैक टू रुट” करेगी रिर्वस पलायन में मदद

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Hemant with his murial

बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपने शौक को नजरअंदाज़ कर अपने करियर में आगे बढ़ जाते हैं और फिर कुछ समय बाद उन्हें महसूस होता है कि वह अगर अपने शौक को अपना करियर बनाएं तो उनके लिए ज्यादा बेहतर होगा।

आज की हमारी कहानी ऐसे ही एक युवा कि हैं जिन्होंने अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ अपने शौक को अपना काम बनाया और आज वह अपने राज्य में वापसी कर चुके हैं। ऋषिकेश के हेमंत पैन्यूली एक सेल्फ टॉट आर्टिस्ट हैं जो अपनी पेंटिंग और चित्रकारी के माध्यम से लोगों तक अपने जूनुन को पहुंचाना चाहते हैं। हेमंत का मानना है कि वह अपनी कला को लोगों तक ठीक उसी तरह से पहुंचाना चाहते हैं जैसे वह महसूस करते हैं।

पिछले एक साल से हेमंत एक मुराल आर्टिस्ट (दिवारों की पेंटिंग) की तरह काम कर रहे हैं।

हेमंत कला के साथ रिर्वस पलायन का एक बेहतरीन उदाहरण हैं जिन्होंने गणित में इंटरमीडिएट पास करने के बाद, इंजिनियरिंग की और दो साल टेक्निकल क्षेत्र में काम किया है जिसके बाद वह वापस अपने राज्य आ गए। हेमंत कहते हैं कि, “दो साल नौकरी के दौरान एक दिन भी ऐसा नहीं होगा जब मैने अपने घर और शहर को याद ना किया हो और फिर एक दिन ऐसा आया जब मैं नौकरी छोड़कर वापस ऋषिकेश आ गया और एक आर्टिस्ट की तरह काम करने लगा। चित्रकारी के साथ-साथ हेमंत एक कोचिंग सेंटर चलाते हैं जहां बहुत से बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा देते हैं।”

किस सोच के साथ उन्होंने पेटिंग शुरु की इसपर हेमंत का कहना था कि, “जिस तरह से मैं अपने राज्य से दूर पलायन करके नौकरी कर रहा था लेकिन वापस अपने शहर आ गया उसी तरह से बहुत से युवा है जो सालों बाहर नौकर करते हैं लेकिन दिल उनका अपने गांव और अपने घर में होता है।ऐसे ही लोगों के लिए मैंने एक मुहिम शुरु की है जिसका नाम है बैक टू रुट।”

बैक टू रुट मुहिम के जरिए हेमंत उत्तराखंड के लोगों को उनकी संस्कृति, जानवरों के प्रति उनके प्रेम और उन चीजों से प्रेरित कर रहा हूं जो आजकल के समय में लोग भूलते जा रहे हैं। हेमंत पहाड़ की संस्कृति और परंपरा को जिंदा रखने के लिए पहाड़ की भावनाओं को अपनी पेंटिंग में उजागर कर रहे हैं। हेमंत खुद एक प्रकृतिक प्रेमी है और वह जानवरों से खासा लगाव रखते हैं। उनकी सभी पेंटिंग में उनका जानवरों के प्रति प्यार साफ-साफ दिखता हैं। जहां एक तरफ वह पलायन को चुनौती दे रहे वहीं अपनी पेंटिग के माध्यम से वह लोगों में एक बार फिर से वह प्यार की भावना जगाना चाहते हैं।

अपनी कला के माध्यम से हेमंत पहाड़ की संस्कृति को एक बार फिर अलग-अलग दिवारों और मुराल के माध्यम से लोगों में जीवंत कर रहे हैं। हेमंत इस पहल से वह ना केवल पलायन के खिलाफ एक जंग छेड़ रहे बल्कि उनके जैसे हजारों युवा जो जिंदगी की भागदौड़ में अपनी जड़ों से दूर हो गए हैं उन्हें वापस अपने राज्य आने का संदेश दे रहे हैं।